पाकिस्तान और अरब देशों में भी महाकुम्भ की धूम
•गूगल ट्रेंड्स के अनुसार इस्लामिक देशों में महाकुम्भ को लेकर हो रही खूब चर्चा
•महाकुम्भ 2025 को सर्च करने के मामले में पाकिस्तान टॉप पर
•कतर,यूएई और बहरीन जैसे देशों ने भी महाकुम्भ में दिखाई गहरी रुचि
प्रांजल केसरी
महाकुम्भ नगर, 14 जनवरी। महाकुम्भ अब सिर्फ भारतीय आयोजन नहीं रहा, यह एक वैश्विक पर्व बन गया है। तीर्थराज प्रयागराज में सोमवार को महाकुम्भ 2025 का भव्य शुभारंभ हो चुका है। ब्राजील, जर्मनी,जापान,इंग्लैंड,अमेरिका और स्पेन जैसे देशों के श्रद्धालु भी प्रयागराज पहुंचने लगे हैं। यह आयोजन अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सनातन संस्कृति के बढ़ते प्रभाव को दिखा रहा है। खास बात ये है कि पाकिस्तान और अरब समेत इस्लामिक देश भी महाकुम्भ में रुचि दिखा रहे हैं। गूगल ट्रेंड्स के अनुसार, इस्लामिक देशों में योगी सरकार द्वारा आयोजित किए जा रहे महाकुम्भ के आयोजन को खूब सर्च किया जा रहा है।
पाकिस्तान में महाकुम्भ के चर्चे
महाकुम्भ को सर्च करने वाले देशों की सूची पर नज़र डालें तो पहला नाम सबसे ज्यादा चौंकाता है जो कि पाकिस्तान है। भारत के परस्पर विरोधी देश में लोग महाकुम्भ के आयोजन और यहां जुट रही व्यापक भीड़ को खूब सर्च कर रहे हैं। पाकिस्तान के बाद कतर,यूएई और बहरीन जैसे देशों ने महाकुम्भ में गहरी रुचि दिखाई है। इसके अलावा, नेपाल,सिंगापुर,ऑस्ट्रेलिया,कनाडा,आयरलैंड,ब्रिटेन,थाईलैंड और अमेरिका जैसे देशों के लोग भी महाकुम्भ के बारे में पढ़ और खोज रहे हैं।
सनातन संस्कृति का बढ़ता वैश्विक प्रभाव
महाकुम्भ में अंतरराष्ट्रीय तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या यह दिखाती है कि सनातन संस्कृति का प्रभाव तेजी से फैल रहा है। संगम में डुबकी लगाने वाले सिर्फ भारतीय ही नहीं, बल्कि विदेशों से आए लाखों श्रद्धालु भी इस दिव्य अनुभव का हिस्सा बन रहे हैं। इस रिपोर्ट के नतीजे बताते हैं कि महाकुम्भ 2025 ने दुनिया को एक बार फिर भारतीय संस्कृति,अध्यात्म और सनातन धर्म की अद्भुत शक्ति का अहसास कराया है।
अब तक 3.50 करोड़ से अधिक लोगों ने महाकुम्भ में लगाई डुबकी
पहले अमृत स्नान पर 3.50 करोड़ से अधिक लोगों ने लगाई डुबकी आज प्रयागराज में प्रथम महाकुंभ अमृत स्नान के अवसर पर 3.50 करोड़ से अधिक पूज्य साधु-संतों एवं श्रद्धालुओं ने बड़े ही हर्षोल्लास के साथ संगम में पवित्र स्नान किया। श्रद्धेय संतों की पावन उपस्थिति में महाकुंभ क्षेत्र का संपूर्ण वातावरण और अधिक दिव्य एवं अलौकिक हो गया।