विश्वास ही सबसे बड़ी शक्ति


राघव कुमार
जीवन में उतार-चढ़ाव तो लगे ही रहते हैं। कई बार हमें असीम खुशी मिलती है और कई बार गहरी काली रात के समान दुख। जब दुख आता है तो नकारात्मक सोच हावी हो जाती है। तब हम न अपने आप पर और न दूसरे लोगों पर और न ही ब्रह्मांड की शक्ति पर विश्वास रखते हैं। डर, चिंता,क्रोध और निराशा हमें घेर लेते हैं। ऐसे में हमारे पास दो ही रास्ते बचते हैं। पहला,हम मन की बात मानकर निराशा के समुंदर में डूबे रहें और दूसरा,मन के ख्यालों को तटस्थता से देखें। दुख से लड़ना है तो दूसरा रास्ता ही अपनाना होगा। दुख का सबसे बड़ा कारण मन की अनगिनत इच्छाएं और भ्रम हैं। मन सिर्फ खुशियां चाहता है। ऐसा जीवन चाहता है, जहां दुख न हो। छोटे बच्चे के समान ख्वाहिश करता है कि पूरी दुनिया उसी की मर्जी के अनुसार चलें। जब ऐसा नहीं होता है तो मन विश्वास खोकर अवसाद में चला जाता है। हमें यह समझना चाहिए कि सुख और दुख जीवन का एक हिस्सा है,इनसे कोई भी नहीं बच पाया है। बड़े से बड़े संत,महात्मा,पैगम्बरों तथा अवतारों को भी दुख का सामना करना पड़ा है तो हम जैसे साधारण इन्सान इससे कैसे बच सकते हैं? लोग मुझसे पूछते हैं कि हम विश्वास को मजबूत कैसे करें? जितना ज्यादा विश्वास होगा उतनी ही शक्ति हमारे पास होगी। संकट का सामना कर सकेंगे। विश्वास तीन तरह से बढ़ा सकते हैं। सबसे पहले विश्वास रखें कि हमने जीवन में कई विपरीत परिस्थितियों का सामना किया है और इसलिए हम आने वाले हर दुख से उबर सकते हैं। दूसरा,हमें ऐसे सारे मौके याद रखने चाहिए जब हम बिल्कुल लाचार महसूस कर रहे थे और हमें कहीं से मदद मिल गई। इन्हें ध्यान में रखकर यह विश्वास बनाना चाहिए कि ईश्वर हमेशा हमारे साथ है और वह सहायता अवश्य करेगा। अगर यह विश्वास पक्का हो जाए तो मदद जरूर मिलेगी। तीसरा सदा ईश्वर को याद रखकर खुद का आत्मसमर्पण कर देना चाहिए। यह प्रार्थना करनी चाहिए कि जो हमारे लिए सबसे कल्याणकारी हो ईश्वर वही करें और यह विश्वास रखना चाहिए कि ईश्वर की मर्जी में ही हमारा हित है। इस संदर्भ में एक बहुत ही अच्छा कथन याद आता है- ‘वे लोग सबसे ज्यादा सुखी रहते हैं,जिनका विश्वास चट्टान की तरह मजबूत होता है। तो आइए इस कथन का सदा स्मरण करते हुए हम सब अंतरात्मा में ऐसा विश्वास जगाए जो चट्टान के समान दृढ़ हो।