प्रधानाचार्य आचार्य के लिए प्रेरक एवं मार्गदर्शक होता – डॉ राम मनोहर

प्रांजल केसरी न्यूज एजेंसी
अमेठी: विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान द्वारा संचालित जन शिक्षा समिति काशी प्रदेश द्वारा आयोजित 10 दिवसीय प्रधानाचार्य प्रशिक्षण वर्ग के छठे दिन पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय सह संगठन मंत्री डॉ राम मनोहर द्वारा मां सरस्वती का पूजन अर्चन हुआ। परिचय काशी संभाग के संभाग निरीक्षक वीरेंद्र सिंह ने कराया।

आचार्य के विकास में प्रधानाचार्य की भूमिका पर अपना विषय रखते हुए उन्होंने बताया,मानव भूतकाल की पीड़ा अथवा भविष्य की चिंता करता है। एक प्रधानाचार्य के विषय में बताते हुए आपने कहा कि प्रधानाचार्य में सोचने की क्षमता होनी चाहिए,उसे विद्यालय के समय में सदैव सक्रिय रहना चाहिए। उसमें चाक,टाक एवं वाक के गुण होना चाहिए। वह आचार्य के लिए प्रेरक एवं मार्गदर्शक होता है,वह घड़ी का पेंडुलम होता है,साथ ही साथ गाड़ी का ड्राइवर भी होता है।

वह आचार्य का प्रधान होता है जिस विद्यालय में भैया/बहिन 75% से अधिक अंक पाएं,वही प्रधानाचार्य सफल प्रधानाचार्य माना जाता है। प्रधानाचार्य अपने आदर्श गुणों को अपने आचार्य एवं भैया बहनों में समाहित कर दे,वही अच्छा प्रधानाचार्य होता है। हमारा विद्यालय स्ववित्त पोषित नहीं बल्कि समाज पोषित विद्यालय है।

प्रधानाचार्य द्वारा आचार्य विकास के पांच प्रकार बताए गए हैं-आचार्य का शैक्षिक विकास करना,आचार्य का अभिलेखीय विकास करना,आचार्य का बहुआयामी विकास करना,प्रशासनिक विकास करना एवं सामाजिक विकास करना। प्रधानाचार्य को अपने सहयोगियों पर विश्वास करना चाहिए। क्योंकि विश्वास में ही विकास है। विश्वासो ही फलदायक: !! संशय: ही विनाशक: ।।