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मां तेरी यादों में अभिषेक चौधरी एक कुशल अध्यापक ठूठीबातों टोला सड़कहवा

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ठूठीबारी टोला सड़कहवा  युवा दिलों के धड़कन युवाओं के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाले एक कुशल अध्यापक अभिषेक चौधरी जी अपने मां के वियोग में जब किसी व्यक्ति की मां नहीं होती है तो मां के स्थान कोई नहीं ले पाता है जो अपने कविताओं के माध्यम से व्यक्त किए है

मां तेरी यादों में तेरी बातें याद आती है तेरी बातों की याद में नमन नीर निकल आती है मैं तो जिंदगी तुझे बिसरा  कर जीना चाहता था मगर यह दुनिया तुझे भी बिसरने नहीं देती है मां तेरी स्मृति तेरी बातें सब स्मरण आ जाता है मां मेरे सामने तेरी तस्वीर आ जाता है तू कहती थी समझती थी मां तू कहती थी समझती थी मेरे बिना दुनिया तुझे वीरान  नजर आएगी  मां तेरी याद तो आती है तेरे बिना अपनों ने ही अपनों की तरह आघात किया है मां जब तेरी बात याद आती है तब जाकर समझ आती है यह दुनिया में अपने  कहने वाले लोग और उनकी बातें सब झूठ है मैं यह कह सकता हूं की मां के बिना  दुनिया दुनिया अधूरी है

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