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देश की आंतरिक सुरक्षा में अग्निवीरों को जोड़ना होगा : संजय सेठ

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संदीप द्विवेदी वरिष्ठ पत्रकार
नई दिल्ली,12 दिसंबर। केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ ने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा में अग्निवीरों को जोड़ना समीचीन होगा। वह आज यहां द्वारका स्थित होटल ताज विवांता में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटी एंड सेफ्टी मैनेजमेंट (आईआईएसएसएम) के 34 वें ग्लोबल काॅन्क्लेव के उद्घाटन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हर आपदा में यही सुरक्षा कर्मी पहुँचते हैं। पुलिस बाद में आती है। रक्षा राज्यमंत्री ने कहा कि चार साल की सेवा के बाद भी अग्निवीर देश की आंतरिक सुरक्षा में सहयोग दे सकता है। उनका सुझाव था कि इस तरह के सेमिनार और प्रदर्शनी का आयोजन छोटे शहरों में भी आयोजित किए जाएं। इससे आम आदमी उनकी जानकारी लेने के बाद उनसे जुड़ने का मन बनाता है।
संजय सेठ ने इस अवसर पर आईआईएसएसएम की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस संस्थान ने लाखों लोगों को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाया है।


कार्यक्रम में आईआईएसएसएम के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ आर के सिन्हा ने बताया कि वर्तमान में किस प्रकार चुनौतियों का सामना करते हुए व्यवस्था को बनाकर रखना होता है। उन्होंने कहा कि निजी सुरक्षा सेवा का आधुनिकीकरण करके इसे कारगर बनाया जा रहा है। आईआईएसएसएम के अध्यक्ष रिटायर्ड आईपीएस जी एम श्रीवास्तव ने बताया कि पहली बार शुरुआत की जा रही है कि अग्नि वीर अपनी सेवा पूरी करने के बाद हमारे साथ जुड़ सकते हैं और देश के निर्माण में अपना योगदान दे सकते हैं।
इस अवसर पर संस्थान की पत्रिका ‘सुरक्षित संसार’ के नये अंक का गणमान्य लोगों ने  लोकार्पण किया। विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए कई लोगों को अवार्ड और अन्य पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। एसआईएस लिमिटेड के सीईओ धीरज सिंह ने सात प्रकार की सुरक्षा पर प्रकाश डाला। उन्होंने घोषणा की कि अगले पाँच साल में यह कंपनी अग्नि वीर स्क्वाड का गठन करेगी। इस अवसर पर सुरक्षा विशेषज्ञ जीबी सिंह ने कहा कि पहले समुदायों की सुरक्षा और फिर देश की सुरक्षा पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि फोरेंसिक और जांच के कार्यो में अभी काफी काम करने की जरूरत है।
कार्यक्रम को इजरायल दूतावास के फारेस साइब,सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क की शकीला मर्चेंट तथा आईआईएसएसएम के सीईओ प्रो संतोष कुमार समेत कई अन्य लोगों ने संबोधित किया।

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