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निचलौल नगर पंचायत में ई-रिक्शा चालकों से अवैध वसूली का मामला, बढ़ता जा रहा आक्रोश

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संपादक नागेश्वर चौधरी

महराजगंज जिले के निचलौल आदर्श नगर पंचायत में ई-रिक्शा चालकों से अवैध वसूली का गंभीर मामला सामने आया है, जिसने स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। टीबी न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक, नगर पंचायत क्षेत्र में ई-रिक्शा चालकों से प्रतिदिन 40 से 50 रुपये की अवैध वसूली की जा रही है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस वसूली के बदले न तो कोई रसीद दी जाती है और न ही यह प्रक्रिया शासन की किसी अधिकृत गाइडलाइन के तहत होती है।

शासन की ओर से जारी दिशा-निर्देशों में स्पष्ट है कि ई-रिक्शा चालकों से किसी प्रकार का शुल्क या टैक्स नहीं लिया जाना चाहिए, खासकर अगर वह नगर पंचायत की ओर से निर्धारित नहीं है। बावजूद इसके, निचलौल में खुलेआम यह अवैध वसूली की जा रही है, जिससे न सिर्फ ई-रिक्शा चालकों की आजीविका प्रभावित हो रही है, बल्कि भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिल रहा है।
स्थानीय ई-रिक्शा चालकों का आरोप है कि यह वसूली नगर पंचायत के किसी नियमित कर्मचारी द्वारा नहीं की जाती, बल्कि कुछ खास और सगे-संबंधियों जैसे प्रिंस अग्रहरि छोटू यादव मुन्ना यादव राधे पासवान को इस काम में लगाया गया है। यह पूरा तंत्र इस तरह संचालित हो रहा है कि कोई सीधे तौर पर नगर पंचायत को दोषी न ठहरा सके, लेकिन चालकों का मानना है कि यह सब कुछ प्रशासन की मिलीभगत से ही हो रहा है।
चालक ने तेज भारत न्यूज़ से बातचीत में बताया, “हमें रोज टैक्सी स्टैंड पर खड़े होने के लिए 40 से 50 रुपये देने पड़ते हैं। यह पैसा न किसी रसीद के साथ लिया जाता है और न ही इसके लिए कोई आधिकारिक आदेश दिखाया जाता है। हमसे कहा जाता है कि अगर पैसा नहीं दोगे तो स्टैंड से बाहर कर दिए जाओगे।”
इस पूरे प्रकरण को लेकर ई-रिक्शा चालकों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि वे मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं और ऐसे में इस तरह की वसूली उन्हें आर्थिक रूप से तोड़ रही है। चालकों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही इस अवैध वसूली पर रोक नहीं लगी, तो वे एकजुट होकर धरना-प्रदर्शन करेंगे।
लेकिन चालकों का कहना है कि यह मामला नया नहीं है, लंबे समय से यह खेल चल रहा है।
स्थानीय समाजसेवियों और नागरिकों ने भी इस अवैध वसूली के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी है। उनका कहना है कि ई-रिक्शा चालकों से की जा रही यह जबरन वसूली पूरी तरह से गैरकानूनी है और इस पर तुरंत रोक लगनी चाहिए।
अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में कितना गंभीर रुख अपनाता है और ई-रिक्शा चालकों को कब न्याय मिलता है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मामला बड़ा जन आंदोलन का रूप भी ले सकता है।

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