महराजगंज

आठ वर्षों से नौकरी कर रही महिला शिक्षक बर्खास्त

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इंद्रेश कुमार पटेल संवाददाता
महराजगंज: जनपद में शिक्षा विभाग में फर्जी शिक्षकों की तैनाती के मामले को लेकर इस समय शिक्षा विभाग एक बार फिर चर्चा में है। फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर तकरीबन 8 वर्षों से नौकरी करने वाली महिला शिक्षक को अब बर्खास्त कर दिया गया है। इसके अलावा अभी जनपद में और भी फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी करने वालों की तादात बड़े मात्रा में है। लेकिन विभाग की मेहरबानी की वजह से यह लोग सुरक्षित है। सदर ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय पड़री बुजुर्ग में तैनात महिला शिक्षिका सुमन यादव को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी श्रवण गुप्ता ने बर्खास्त कर दिया है। आरोपित शिक्षिका पिछले आठ वर्ष से विभाग के आंखों में धूल झोंक कर किसी दूसरे के नाम की वह भी फेरल डिग्री को कूटरचित तरीके से प्रयोग कर नौकरी कर रही थी। वर्खास्तगी के साथ ही जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने मुकदमा भी दर्ज कराने का विभाग के बाबुओं को आदेश दिया है।
मिली जानकारी के अनुसार मदन मोहन मालवीय इंजीनियरिंग कालेज रोड,कूड़ाघाट गोरखपुर की रहने वाली शिक्षिका सुमन यादव की नियुक्ति 19 मई 2016 को हुई थी। नियुक्ति के बाद जिले के मिठौरा ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय विजय नगर बेलभरिया में पहली तैनाती हुई थी। उसके बाद में स्थानांतरण के बाद सुमन सदर ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय पड़री बुजुर्ग में तैनात हो गई थी।
पिछले दिनों भिटौली थाना क्षेत्र के भैंसी गांव निवासी राजेश्वर पटेल ने इनकी नियुक्ति पर सवाल खड़े करते हुए आरोप लगाया था,कि आरोपित शिक्षिका जिस टीईटी के प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहीं हैं, यह प्रमाण पत्र उनका नहीं है,रोल नंबर से जांचने पर यह प्रमाण पत्र किसी उषा सैनी के नाम से दर्ज दिखा रहा है,इतना ही नहीं जिस रोल नंबर का प्रमाण पत्र फाइल में लगा हुआ है, वह उसमें फेरल हैं, बावजूद इसके बीएसए आफिस के बाबुओं की मिली भगत से आरोपित शिक्षिका को नियुक्ति दे दी गई है। राजेश्वर पटेल ने पूरे मामले में जांच कराकर कार्रवाई की मांग की थी। जिसके बाद जिला बेसिक शिक्षा में अधिकारी श्रवण कुमार गुप्ता ने इस मामले में जांच कराई। जांच के बाद को मामला सही पाए जाने पर आरोपित पत्र शिक्षिका को वर्खास्त कर मुकदमे की तैयारी में है। फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर महिला शिक्षक तो बर्खास्त हो गई है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर किसके सह पर जनपद के जिम्मेदार अफसरों के नाक के नीचे आठ वर्षों से नौकरी करती रही। क्या विभाग में तैनात तथा कथित बाबुओ की भी मिली भगत की जांच होनी चाहिए या मामला यही रफा-दफा हो जाएगा।

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