देश और दुनिया में सबकी जुबान पर होगा उत्तर प्रदेश का खास स्वाद

उप संपादक पंकज मणि त्रिपाठी
लखनऊ। एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) की सफलता के बाद उसी तर्ज पर योगी सरकार एक जिला एक पकवान (वन डिस्ट्रिक्ट वन कुजीन/ओडीओसी) योजना लाने जा रही है। इसके जरिए सरकार किसी खास जिले के खास पकवान या पकवानों को इसमें शामिल कर प्रमोट करेगी। इनकी गुणवत्ता निखारने,उनको बाजार की मांग के अनुकूल बनाने से लेकर पैकेजिंग और मार्केटिंग में मदद करेगी।
सरकार से मिले संरक्षण और संवर्धन का लाभ संबंधित उत्पाद से जुड़े हर स्टेक होल्डर्स को मिलेगा। बिक्री और निर्यात की संभावना से उस क्षेत्र का पूरा इकोसिस्टम बदलेगा। लोग आर्थिक रूप से खुशहाल होंगे। सरकार को भी लाभ होगा। ओडीओपी योजना के जरिए ऐसा हो रहा है,इसीलिए सरकार को भी इस योजना से खासी उम्मीदें हैं। उल्लेखनीय है कि निर्यात संवर्धन में ओडीओपी योजना से जुड़े उत्पादों की महत्वपूर्ण भूमिका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार इसका जिक्र कर चुके हैं।
हाल ही में योगी सरकार के आठ साल पूरे होने पर उत्कर्ष के आठ वर्ष के नाम से छपी बुकलेट में लिखा गया है कि,”एक जिला,एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना के शुरुआत के बाद से राज्य का निर्यात 88967 करोड़ से बढ़कर दो लाख करोड़ से अधिक हो गया। एक जिला एक पकवान से भी सरकार को ऐसी ही अपेक्षा है। क्योंकि जिन पकवानों को (ओडीओसी) में शामिल किया जाएगा उनमें से कुछ एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल होंगे। कुछ को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई)भी मिला होगा। कुछ जीआई टैगिंग की पाइपलान में होंगे। इन दोनों का लाभ इन खास पकवानों को मिलना स्वाभाविक है। ऐसा हो भी रहा है।
ओडीओपी के उत्पादों से निर्यात में वृद्धि की बात योगी आदित्यनाथ बार बार कहते हैं। जी उत्पादों के बारे में भी इसके प्रमाण हैं। उत्तर प्रदेश के कई उत्पादों को जीआई टैगिंग दिलवाने में सहयोगी और जीआई मैन के नाम से जाने जाने वाले पद्मश्री डॉक्टर रजनीकांत के अनुसार वाराणसी क्षेत्र के जीआई उत्पादों के कारण इस क्षेत्र का सालाना कारोबार करीब 25500 करोड़ रुपए का हो गया है। इससे जुड़े करीब 20 लाख लोगों को इससे लाभ हुआ है। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश के 77 और वाराणसी क्षेत्र के 32 उत्पादों को जीआई टैगिंग मिल चुकी है। यह देश में सर्वाधिक है। हाल की काशी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 उत्पादों को जीआई टैगिंग प्रदान की थी।
यूपी में है खास पकवानों की संपन्न परंपरा
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश का हर जिला अपने किसी खास पकवान या पकवानों के लिए मशहूर है। इन पकवानों की संबन्धित जिलों में बेहद संपन्न परंपरा है। इन जिलों का नाम आते ही अपने आप वहां के खास पकवान या पकवानों का नाम याद आ जाता है। मसलन हापुड़ पापड़ के लिए जाना जाता है तो मऊ का गोठा अपने खास स्वाद के छोटे छोटे साइज के गुड़ के लिए। मथुरा और आगरा के नाम के साथ क्रमशः वहां के पेड़े और पेठे का नाम भी याद आ जाता है। अयोध्या के खुरचन के लड्डू ,चुरेब की चाय, जौनपुर की इमरती, संडीला (हरदोई) का लड्डू, हाथरस की रबड़ी,वाराणसी जैसे प्राचीनतम शहरों में तो एक नहीं कई पकवान हैं मसलन लाल पेड़ा, तिरंगी बर्फी, ठंडाई, लाल भरुआ मिर्चा, खस्ता और कचौड़ी आदि। इसी तरह लखनऊ की रेवड़ी,गलावटी कबाब आदि।
देवरिया के लिट्टी चोखा,फर्रुखाबादी समोसा, गाजियाबाद के कचालू,बरेली की बर्फी की भी बढ़ेगी ब्रांड वैल्यू
उन्नाव (मठरी), रायबरेली (आलू के पराठे), सीतापुर (मावा पान), लखीमपुर खीरी (गन्ने के रस की खीर),कानपुर नगर और देहात क्रमशः (ठग्गू के लड्डू, बेसन की बर्फी), फर्रुखाबाद: (फर्रुखाबादी समोसा) औरैया (पुआ) भदोही: (बथुआ पराठा), चंदौली: (मक्का के लड्डू), फिरोजाबाद ( तिल के लड्डू),मैनपुरी (खस्ता कचौड़ी) एटा (गजक),गोरखपुर: (परवल की मिठाई),महराजगंज: (चावल का खीर),कुशीनगर: (ठेकुआ) देवरिया के लिट्टी-चोखा,हरदोई (खजला) बरेली की बर्फी पीलीभीत: (बाजरे की रोटी) बदायूं (खुरचन), शाहजहांपुर (कढ़ी-चावल),मेरठ (नानखटाई),बागपत के गुड़ की रेवड़ी,गाजियाबाद का कचालू,हापुड़ (बांस का हलवा),नोएडा (चॉकलेट मिठाई),झांसी की गुझिया,ललितपुर की मक्का रोटी,जालौन (उरद दाल पकौड़ा) प्रयागराज: (अमरूद की चटनी), कौशांबी (सिंघाड़ा हलवा),फतेहपुर (तिल एवंलह गुड़ का लड्डू),बलरामपुर (जलेबी), श्रावस्ती (कटहल की बिरयानी,अयोध्या (फैजाबाद) का मालपुआ,अंबेडकर नगर: (तहरी),सुल्तानपुर ,(कुल्फी) मिर्जापुर (बरिया मिठाई),सोनभद्र ,(महुआ लड्डू ),भदोही (गोंद के लड्डू) बस्ती (केले का कोफ्ता) कासगंज (पनीर समोसा) आजमगढ के गुड़ चावल से बनने वाली बखीर, मऊ( मूंग दाल हलवा), बलिया (छेना मिठाई) अयोध्या (फैजाबाद) की बालूशाही,अंबेडकर नगर (मटर पुलाव),सुल्तानपुर: (बेल के लड्डू), बुलंदशहर: (खस्ता पूरी) और सहारनपुर का डोसा आदि के भी और अच्छे दिन इस सूची में आने के बाद आ सकते हैं।