सिद्धार्थनगर
एक ऐसा महापर्व जिसमे कोई पंडित पुजारी नही होता


राकेश कुमार श्रीवास्तव संवाददाता
सिद्धार्थ नगर। जिसमें देवता प्रत्यक्ष है,जिसमे डूबते सूर्य को भी पूजते है,जिसमे व्रती जाति समुदाय से परे हैं,जिसमे सिर्फ लोकगीत गाते है,जिसमे पकवान (ठोकवा)घर मे बनते है,जिसमे घाट पर कोई ऊंच-नीच का भेदभाव नही होता,जिसमे प्रसाद अमीर गरीब सब श्रद्धा से ग्रहण करते है”दुनिया कहती है कि जिसका उदय हुआ उसका अन्त होना निश्चित है,लेकिन बिहार का यह महा पर्व दुनिया के लोगों को यह सन्देश देता है कि जो डूबता है उसका उदय होना निश्चित है ! ऐसे सामाजिक सौहार्द सद्भाव शान्ति समृद्धि और सादगी से तिरोहित सूर्य देव की आस्था के महापर्व छठ पूजा हैं।