उत्तर प्रदेशलखनऊ

सीएम योगी ने लखनऊ में अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी-2025 का किया उद्घाटन

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सुधीर कुमार मिश्रा समाचार संपादक
लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी-2025 का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पर्यावरण संरक्षण के लिए सामूहिक जिम्मेदारी और सहभागिता पर जोर दिया। इस वर्ष की थीम‘प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास’को केंद्र में रखते हुए,सीएम योगी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं,बल्कि समाज के हर वर्ग के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है। उन्होंने भारत के वैदिक दर्शन और सनातन परंपराओं का उल्लेख करते हुए प्रकृति के साथ सामंजस्य की आवश्यकता को लेकर लोगों से अपील भी की।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक परंपराएं प्रकृति के प्रति गहरे सम्मान को दर्शाती हैं। उन्होंने वैदिक शांति पाठ का उदाहरण देते हुए बताया कि सनातन धर्म में हर मांगलिक अनुष्ठान की शुरुआत पृथ्वी,जल,अंतरिक्ष और समस्त चराचर जगत के कल्याण की कामना से होती है। उन्होंने कहा कि हमारी परंपराएं हमें सिखाती हैं कि मनुष्य का अस्तित्व प्रकृति और जैव विविधता के संरक्षण पर निर्भर है। अथर्ववेद में कहा गया है कि धरती हमारी माता है और हम इसके पुत्र हैं। एक पुत्र के नाते,हमें अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना होगा।
योगी आदित्यनाथ ने 1992 में शुरू हुई वैश्विक स्तर पर जैव विविधता संरक्षण की चर्चा का उल्लेख करते हुए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2070 तक भारत को नेट जीरो लक्ष्य प्राप्त करने का संकल्प लिया है,लेकिन इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समाज के हर व्यक्ति का योगदान आवश्यक है। यह केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं है। जब तक हम सभी मिलकर प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए काम नहीं करेंगे,तब तक सतत विकास का लक्ष्य अधूरा रहेगा।
मुख्यमंत्री ने ग्रामीण भारत की स्वावलंबी परंपराओं का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले हर गांव में खलिहान,गोचर भूमि,तालाब और खाद के गड्ढे होते थे,जो पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। गांवों में सॉलिड वेस्ट को खाद के गड्ढों में डालकर कंपोस्ट बनाया जाता था,तालाब स्वच्छता के प्रतीक थे और गोचर भूमि पशुओं के लिए आरक्षित थी,लेकिन आधुनिकता की दौड़ में हमने इन परंपराओं को नजरअंदाज कर दिया,जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरणीय असंतुलन और बीमारियां बढ़ रही हैं। उन्होंने गांवों में तालाबों को ड्रेनेज का माध्यम बनाने और गोचर भूमि पर अतिक्रमण जैसे कदमों को आत्मघाती बताया।
सीएम योगी ने उत्तर प्रदेश के प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य का जैव विविधता बोर्ड ‘प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास’ के विजन को साकार करने के लिए नए अभियान चला रहा है। पिछले आठ वर्षों में वन विभाग ने 210 करोड़ से अधिक वृक्षारोपण कर राज्य के वन क्षेत्र को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके साथ ही,नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा नदी को कानपुर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निर्मल और अविरल बनाने में सफलता प्राप्त हुई है। कानपुर,जो कभी नमामि गंगे का सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र था,आज वहां गंगा स्वच्छ और जीवंत है।
सीएम योगी ने जैव विविधता के संरक्षण में स्थानीय परंपराओं और ज्ञान के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सनातन धर्म की उस परंपरा का उल्लेख किया,जिसमें पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं को देवताओं के साथ जोड़ा जाता है। उन्होंने कहा कि हमारी परंपराएं हमें सिखाती हैं कि पीपल,बरगद और जामुन जैसे वृक्षों का संरक्षण करना हमारा कर्तव्य है। पहले लोग चींटियों को मारने के बजाय आटा और चीनी देकर उन्हें प्राकृतिक रूप से हटाते थे। यह प्रकृति के साथ सामंजस्य का उदाहरण है।
सीएम योगी ने आधुनिक विकास के मॉडल पर भी सवाल उठाए,जो पर्यावरण के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम हर कार्य को मशीनीकरण की ओर ले जा रहे हैं,चाहे वह ड्रेनेज हो या औद्योगिक कचरा। हमें प्राकृतिक उपायों को अपनाना होगा,जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में जल शोधन की देसी पद्धतियां थीं। उन्होंने कहा कि जटायु जैसे पक्षियों के संरक्षण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि रासायनिक उर्वरकों और दवाओं के दुष्प्रभावों ने इन प्रजातियों को विलुप्ति के कगार पर पहुंचा दिया है।
उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि जटायु,जो प्रकृति के शोधन का कार्य करता था,आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। हमें अपनी परंपराओं के प्रति कृतज्ञता दिखानी होगी। सीएम योगी ने लोगों से आह्वान किया कि जैव विविधता संरक्षण को जन आंदोलन बनाना होगा। यह सृष्टि केवल मनुष्य के लिए नहीं है। अगर हमें अपने अस्तित्व को बचाना है,तो हमें जीव-जंतुओं,जल स्रोतों और पर्यावरण के संरक्षण के लिए सामूहिक रूप से कार्य करना होगा। उत्तर प्रदेश का जैव विविधता बोर्ड इस दिशा में प्रयासरत है,और हमें इन प्रयासों को और गति देनी होगी।
संगोष्ठी के दौरान,मुख्यमंत्री ने जैव विविधता पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन किया और प्रत्येक स्टॉल पर जाकर उत्पादों की जानकारी ली। उन्होंने ग्रीन बजट और जैव विविधता पुस्तिका का विमोचन किया,साथ ही चित्रकला,निबंध लेखन और वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया। सीएम योगी ने कार्बन क्रेडिट के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को 10,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान किया और एनजीओ फार्मर्स को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर पर्यावरण,वन और जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ.अरुण कुमार सक्सेना,राज्यमंत्री केपी मलिक, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह,प्रमुख सचिव अनिल कुमार समेत कई जनप्रतिनिधि और अधिकारी उपस्थित रहे।

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