आगामी पंचायत चुनावों को लेकर सपा ने कसी कमर,आरक्षण और परिसीमन में गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं

उप संपादक पंकज मणि त्रिपाठी
लखनऊ: आगामी पंचायत चुनावों को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) ने कमर कस ली है। पार्टी नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि आरक्षण और परिसीमन प्रक्रिया में किसी भी तरह की गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके लिए हर जिले में जिम्मेदार पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है,जबकि प्रदेश मुख्यालय पर वरिष्ठ नेताओं की एक विशेष टीम निगरानी का कार्य देख रही है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि सत्ताधारी भाजपा डाटा और आईटी विशेषज्ञों की मदद से चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश कर सकती है। उन्होंने कहा “भाजपा के पास डाटा और तकनीक की ताकत है,जिसे वह अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकती है। सपा इस खेल को नाकाम करने के लिए सतर्क है।”
सूत्रों के मुताबिक,भाजपा के प्रयास ग्राम पंचायत परिसीमन में जातीय आंकड़ों के हेरफेर तक जा सकते हैं,ताकि पीडीए (पिछड़े, दलित,अल्पसंख्यक) आधारित सपा के समीकरणों को प्रभावित किया जा सके।
जिलों से लेकर कोर्ट तक: सपा की चार स्तर की रणनीति
स्थानीय स्तर पर निगरानी–हर जिले में सपा पदाधिकारियों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे परिसीमन और आरक्षण की प्रक्रिया पर नजर रखें।
प्रशिक्षण कार्यक्रम– सपा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है,जिससे वे ग्राम,क्षेत्र व जिलास्तर पर अपने अधिकारों को लेकर अधिकारियों के सामने मजबूती से पक्ष रख सकें।
तत्काल रिपोर्टिंग सिस्टम–अगर किसी भी स्थान पर गड़बड़ी नजर आती है तो सपा के नेता इसे तत्काल चुनाव आयोग तक पहुंचाएंगे।
न्यायिक विकल्प–यदि जरूरी हुआ तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाने से भी पार्टी पीछे नहीं हटेगी।
सपा का आरोप है कि भाजपा पंचायत चुनावों में जातीय समीकरणों को बदलने के लिए परिसीमन में बदलाव की कोशिश कर सकती है। सपा का मानना है कि यह रणनीति विपक्ष के मजबूत आधार वाले क्षेत्रों को कमजोर करने के लिए अपनाई जा रही है।