अंबेडकर जी का जीवन गढ़ने में तीन महापुरुषों का योगदान था

डॉ. भीमराव अंबेडकर का नाम, ज्ञान और उड़ान — तीन प्रेरणादायक चेहरे जिनका ऋण अंबेडकर जी पर है:
1. नाम मिला सम्मान से-
बचपन में स्कूल में जातिगत भेदभाव से बचाने के लिए एक ब्राह्मण शिक्षक ‘महादेव अंबेडकर’ ने उन्हें अपने उपनाम से जोड़कर ‘अंबेडकर’ नाम दिया। यही नाम आगे चलकर बाबा साहेब का प्रतीक बना।
2. सपनों को पंख दिए ब्राह्मण राजा छत्रपति शाहूजी ने-
कोल्हापुर के ब्राह्मण राजा शाहूजी महाराज ने भीमराव की प्रतिभा पहचानी और छात्रवृत्ति देकर उन्हें उच्च शिक्षा की ओर बढ़ाया। उन्होंने कहा था — “भीमराव जैसे छात्र को पढ़ाना हिंदू समाज की सेवा है।”
3. दुनिया की उड़ान दी क्षत्रिय सयाजीराव गायकवाड़ ने!
बड़ौदा के क्षत्रिय महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ ने उन्हें छात्रवृत्ति दी जिससे अंबेडकर अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय और इंग्लैंड के लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स तक पहुंचे और विश्व के सबसे विद्वान नेताओं में शामिल हुए।
अगर ब्राह्मण क्षत्रिय दलितों के दुश्मन होते तो बालक भीमराव कभी बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर ना बन पाते। पहले अंग्रेज और अब पाकिस्तानी प्रोपेगंडा फैलाकर सिर्फ दलितों के मन में नफ़रत भर रहे हैं । बाबासाहेब डॉ.भीमराव अंबेडकर ने ख़ुद अपने जीवन में इन तीन महानुभावों—महादेव अंबेडकर,छत्रपति शाहूजी महाराज और महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय—के योगदान को गहराई से सराहा और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।
1. ब्राह्मण महादेव अंबेडकर (शिक्षक)
डॉ. अंबेडकर के मूल उपनाम “अंबावडेकर” को उनके प्राथमिक विद्यालय के ब्राह्मण शिक्षक महादेव अंबेडकर ने बदलकर “अंबेडकर” कर दिया। यह परिवर्तन उनके प्रति स्नेह और सम्मान का प्रतीक था। डॉ. अंबेडकर ने 1947 में ‘नवयुग’ पत्रिका को दिए एक साक्षात्कार में स्वयं इस बात की पुष्टि की थी कि उनके शिक्षक ने उन्हें यह उपनाम दिया था।
2. ब्राह्मण छत्रपति शाहूजी महाराज (कोल्हापुर)
छत्रपति शाहूजी महाराज ने डॉ. अंबेडकर की शिक्षा और सामाजिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 1920 में ‘मूकनायक’ समाचार पत्र शुरू करने के लिए ₹2,500 की सहायता दी और बाद में लंदन में उनकी पढ़ाई के लिए ₹1,500 भेजे । डॉ. अंबेडकर ने उन्हें “बहुजन समाज का सच्चा हितैषी” माना और उनके सामाजिक सुधारों की सराहना की।
3. क्षत्रिय महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय (बड़ौदा)
महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय ने डॉ. अंबेडकर को उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की,जिससे वे कोलंबिया विश्वविद्यालय (अमेरिका) और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (इंग्लैंड) में अध्ययन कर सके। डॉ. अंबेडकर ने 1950 में महाराजा के पोते को एक पत्र में लिखा: “वे मेरे संरक्षक और मेरे भाग्य के निर्माता थे…मैं उनके प्रति गहरी कृतज्ञता रखता हूँ।
इन तीनों महानुभावों के योगदान ने डॉ. अंबेडकर के जीवन और कार्यों को आकार दिया,जिससे वे भारतीय समाज में सम्मानित हुए।
मोहीनी मिश्रा आचार्या