सोनौली

सरस्वती विद्या मंदिर,माध्यमिक विद्यालय सोनौली में एकदिवसीय आवर्ती अभ्यास संपन्न

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प्रांजल केसरी ब्यूरो
सोनौली: विद्या भारती गोरक्ष प्रान्त सेवा क्षेत्र की शिक्षा के आवर्ती अभ्यास सरस्वती विद्या मंदिर,माध्यमिक विद्यालय सोनौली में दीप प्रज्ज्वलित कर पुष्पार्चन किया गया। इस वर्ग में सुरेश विश्वकर्मा प्रधानाचार्य सरस्वती विद्या मंदिर माध्यमिक विद्यालय सोनौली ने परिचय कराया। इस बैठक में प्रेमशंकर चौबे प्रधानाचार्य कोल्हुई,अम्बरीष जी प्रधानाचार्य ठूठीबारी,जिला सेवा प्रमुख पूरे समय उपस्थित रहे।


1-.सरस्वती संस्कार केन्द्र प्रबंध-व्यवस्था आवश्यकता स्वरूप,गठन तथा कार्य:- राघव कुमार ने कहा दिनांक 21 जून 2025 को विद्या भारती गोरक्ष प्रान्त सेवा क्षेत्र की शिक्षा का आवर्ती अभ्यास वर्ग में सरस्वती विद्या मंदिर,माध्यमिक विद्यालय सोनौली महराजगंज में संचालक/संचालिका तथा प्रमुख दायित्व क्या है।
2-आवश्यकता: किसी भी प्रभावी कार्य के पीछे उसमें लगी प्रबंध व्यवस्था एवं कार्य करने की प्रेरणा का तथा योगदान को महत्वपूर्ण माना गया है। ठीक प्रबंधन के अभाव में कार्य का अपेक्षित परिणाम प्राप्त करना असंभव होता है। हमारे सरस्वती संस्कार केन्द्र प्रभावी तथा परिणामकारी बनने चाहिए। परन्तु ध्यान रहे ये केन्द्र सेवा से सम्बंधित हैं। इन केन्द्र की प्रबंधन- आवश्यकता तो और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सेवा का सम्बन्ध मानवीय संवेदना से होता है। इसी संवेदना के कारण समाज का सामान्य सा व्यक्ति भी सर्वोच्च बन जाता है। प्रबंधन की इसी भूमिका को ध्यान में रखकर हमे अपने के सुसंचालन का दायित्व निर्वाह करना होगा। 


हमारे सम्पूर्ण कार्य के प्रबन्धन- व्यवस्था का आधार स्नेह और आत्मीयता है। प्रबन्धन के अर्थ को यदि हम प्रशासन का स्वरूप देंगे तो शायद उचित नहीं होगा। क्योंकि स्वामी विवेकानंद ने कहा- आध्यात्मिक जगत में मानव सेवा एक सौभाग्य है न कि बाध्यता। हमें साक्षात ईश्वर की सेवा का अवसर प्राप्त हुआ है। सेवा को परोपकार कहकर छोटा नहीं किया जा सकता। एक उपासक केवल सेवा व श्रद्धा ही कर सकता है दया और मदत नहीं। 
3- कार्यकाल : संचालन समिति का कार्यकाल 3 वर्ष का होगा। 
4- बैठके : मासिक बैठक का पूर्ण आग्रह रहेगा। हर स्थिति में दो मास में बैठक करना अनिवार्य है। बैठक की कार्यवाही पंजी में अंकित होगी। अगली बैठक में इसकी पूर्णता की समिक्षा व पुष्टि हो जानी चाहिए। 
5- कार्य : 
01-केन्द्र के आचार्य के प्रति आत्मीय भाव, स्नेह व संरक्षक का भाव रखना ताकि वे मन से बस्ती के बच्चों में रम जाय व केन्द्र की कार्ययोजना को ठीक से व्यवहार में ला सकें। 
02- ग्राम/बस्ती का वातावरण अपने केन्द्र के अनुकूल बनाये रखना। 
03- केन्द्र संचालक/संचालिका की कठीनाई जानकर सहयोग करना। 
04- आवश्यक सामाग्री व संसाधन समय से उपलब्ध हो जाय ऐसा प्रयास करना। 
05- केन्द्र का शैक्षिक स्तर, इसकी नियमितता,बस्ती/ ग्राम के लोगों का केन्द्र से लगाव और भैया बहनों का संस्कार पक्ष ठीक रहे इसे सुनिश्चित करना।
06- केन्द्र के माध्यम से बस्ती/ग्राम में भारतीय संस्कृति का बढावा तथा देशभक्ति तथा बस्ती में परिवर्तन दिखाई दे। 
07- सरस्वती संस्कार केन्द्र के माध्यम 15 दिन मे भजन महिला भजन मण्डली के द्वारा भजन कीर्तन तथा लक्ष्मी की आरती करना है। 
08- केन्द्र के माध्यम से बस्ती/ ग्राम के प्रत्येक परिवार में तुलसी का पौधा तथा हर दरवाजे पर ऊं,स्वास्तिक, रंगोली बनाने के लिए आग्रह करना। 
9- कुपोषण मुक्त भारत करने के लिए बस्ती का चयन करना है।
10-28 जून 2025 से लेकर 5 जुलाई 2025 तक केन्द्र प्रारम्भ करना है। हनुमान चालीसा, हवन पूजन के द्वारा प्रारम्भ करना है। तथा गाँव के प्रत्येक घर से कोई न कोई सदस्य उद्घाटन के समय अवश्य रहे। ऐसा समर्पक करके केन्द्र पर लाना है। तथा विद्यालय के प्रधानाचार्य,प्रबंध समिति में से भी कोई पदाधिकारी अवश्य रहे।
-संस्कार केंद्र के वार्षिक कार्ययोजना पर बनाया गया।
-संस्कार केन्द्र के समय सारिणी पर विस्तार से चर्चा किया गया।
-गुरुपूर्णिमा के महत्व के बारे में केन्द्र पर चर्चा करना है।
-15 अगस्त पर केन्द्र पर ध्वजारोहण कार्यक्रम करना है।
-रक्षाबन्धन उत्सव संस्कार केन्द्र पर धूमधाम से मनाना है। तथा केन्द्र संचालिका राखी निर्माण कर बस्ती/गाव तथा सीमा सशस्त्र बलों के जवानों को केम्प में राखी बाधने के लिए समपर्क करना है।
11- पंच परिवर्तन पर भी चर्चा किया गया। समाजिक समरसता,कुटुम्ब प्रबोधन, स्व बोध, स्वभाषा,स्वदेशी,सुसंस्कृति,नागरिक कतर्ब्य पर चर्चा किया।
  

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