विश्व में साक्षरता हेतु औपचारिक विद्यालयों की तुलना में अनौपचारिक शिक्षा केन्द्र अत्यंत उपयोगी – राघव कुमार

प्रांजल केसरी न्यूज डेस्क
हमीरपुर: सेवा कार्य क्यों कैसे और किसके लिए वैचारिक सत्र में दीप प्रज्ज्वलित कर पुष्पार्चन किया। आज दिनांक 8 जुलाई 2025 सरस्वती विद्या मंदिर हमीरपुर में कैलाश सिंह प्रशिक्षण प्रमुख कानपुर प्रान्त ने कहा सन् 1981 में श्रद्धेय भाऊराव देवरस ने झारखंड के घोर बनांचल क्षेत्र में गुमला नामक स्थान पर वनवासी सेवा में लगे सेवा कार्यकर्ताओं के बीच में अनौपचारिक शिक्षण पद्धति पर अधारित एकल शिक्षक विद्यालय योजना की कल्पना दी। उनकी प्रेरणा से यह संकल्प उभर कर आया कि देश के अन्तिम व्यक्ति तक शिक्षा के दीप का प्रकाश पहुचाकर इनकी सोच को देश के मुख्यधारा जोडना अत्यन्त आवश्यक है। ऐसा भी अनुभव में आया कि विश्व के सभी देशों में साक्षरता हेतु औपचारिक विद्यालयों की तुलना में अनौपचारिक शिक्षा केन्द्रो को ही अधिक उपयोगी पाया गया है। दुर्भाग्यवश दासता के कालखंड मे ये स्वस्थ परम्पराएं लुप्त हो गयी। झुग्गी-झोपड़ी,सुदूर ग्रामीण और बनांचलों मे रहने वाला बहुत बड़ा वर्ग हमारी उपेक्षा व तिरस्कार के कारण देश के मुख्य धारा से दूर होता चला गया।

आज अपने देश में ऐसे अभावग्रस्त बन्धुओं की चार श्रेणियों सर्वत्र देखी जा सकतीं है-
क- श्रमिक क्षेत्र रेलवे स्टेशन पर,बस स्टाफ पर,रिक्शा चलाने वाले,मजदूरी करने वाले, ठेला खीचने वाले,गोदाम से बोरी उतरने वाले।
ख- सेवा बस्ती यानि अछूत कहे जाने वाले समाज,ये हमारे घरों की गंदगी साफ करते हैं। चमड़े का जूता बनाकर लोगो को पहनाते है। इन्हें अछूत माना जाता है।
ग- वनवासी समाज इस देश में बहुत बड़ी संख्या वनवासियों की है। ये सब हिन्दू है वनों में रहते हैं। भूमि व प्रकृति को ये अपनी सम्पति मानते हैं।
घ- घुमन्तु समाज भैस पर इनका घर होता है ये अपनो को महाराणा प्रताप के बंशज बताते हैं। उनकी रक्षा का संकल्प लिया था उन्होंने। इस समाज की भी हम ने बहुत उपेक्षा की है।
संकल्प व समाधान विद्या भारती द्वारा सामाजिक समरसता तथा न्याय,राष्टीयता एकता और अखण्डता का वातावरण निर्माण करने हेतु निशुल्क या अल्प शुल्क पर सरस्वती संस्कार केन्द्र/ एकल शिक्षक विद्यालय चलाने का संकल्प लिया गया है। विद्यालयों के द्वारा संचालित सरस्वती संस्कार व एकल शिक्षक विद्यालय जहाँ आवश्यक है वहा पर चलना है। शताब्दी वर्ष में एक विद्यालय अनेक सरस्वती संस्कार केन्द्र चलाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वैचारिक सत्र में परिचय एवं स्वागत विद्यालय के प्रधानाचार्य राम प्रकाश गुप्ता,राघव कुमार सह सेवा संयोजक विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र,शिव सिंह प्रान्त से प्रमुख ने धन्यवाद ज्ञापित किया।