प्रयागराज / वाराणसी

शिक्षा,स्वास्थ्य व संस्कार से ही हम सब आत्मनिर्भर होकर अपनी प्रगति कर सकते – कमलाकर त्रिपाठी

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प्रांजल केसरी न्यूज डेस्क
प्रयागराज: कमलाकर त्रिपाठी प्रान्त सेवा प्रमुख ने कहा कि संस्कार केंद्र के दो घंटे की समय सारिणी पर विस्तार से चर्चा किया। संस्कार के वर्ग में जो आप लोगो ने सिखा है। बस्ती/गाँव में छ: आयाम को क्रियान्वयन करना है। शिक्षा,स्वस्थ,स्वावलम्बन,समरसता,संस्कृति, देशभक्ति,बस्ती के लोगों से निरंतर संपर्क करना है। सरस्वती संस्कार केन्द्र के माध्यम से बस्ती में जागरूक कर राष्ट्र के मुख्यधारा से जोडना का कार्य हम सभी केन्द्र संचालक/संचालिका का दायित्व है।
सरस्वती संस्कार केन्द्रो के लिए है।
-शिक्षा,स्वास्थ्य व संस्कार से ही हम सब आत्मनिर्भर होकर अपनी प्रगति कर सकते हैं।
-इसके लिए हमें सदैव तैयार होना होगा। बिना बस्ती के सहयोग से यह संभव नहीं हो सकता है।
-हर काम के लिए सरकार की ओर देखना हमारी आदत बन गयी है। यह ठीक नहीं है। जो अपनी सहायता स्वयं करता है उसकी सहायता भगवान करता है।
-हम विद्या भारती के द्वारा चलने वाले विद्यालयों के लोग है। आप और हम मिलकर बस्ती की प्रगति करे यही समय की मांग है।
– ध्यान रहे यह कोई सरकारी योजना नहीं है। यह हमारे गाँव या बस्ती की अपनी योजना है। इसका सम्बन्ध जाति बिरादरी या राजनीति से किंचित भी नहीं है।
संस्कार केन्द्र पर प्रभुभक्ति –
-सबसे पहले महिलाऐ भजन मण्डली तैयार करे। गाँव/बस्ती में वाद्ययंत्र के साथ करना है।
-प्रत्येक एकादशी को 2 घंटे का भजन कीर्तन कार्यक्रम बस्ती/गाँव के मंदिर या किसी सर्वजनिक स्थान पर होगा। गांव में उपलब्ध चित्रो (देवी देवताओं के) से कीर्तन स्थल को सजाना न भूले। प्रसाद की व्यवस्था बस्ती के घरों से होगी।
-अंत मे आरती होगी। आरती पर चढ़ावे की राशि गिनकर रसीद काटी जाय। धन बस्ती के किसी प्रमुख ब्यक्ति के यहाँ रखा जाय। अन्यथा विद्यालय में जमा किया जाय।
-आरती से प्राप्त धन से भजन कीर्तन के लिए आवश्यक सामाग्री वाद्ययंत्र,भगवान का चित्र,अगरबत्ती,स्टैण्ड,घंटा घडि़याल,शंखादि क्रय किया जा सकता है।
-भजन कीर्तन में कभी कभी संत-महात्मा के द्वारा कोई कथा प्रवचन भी कराया जाय। प्रवचन की भाषा व घटनायें बस्ती के स्तर के अनुरूप चाहिए।
– हर चार महीने में एकबार गांव/बस्ती के लोगों का स्वस्थ परीक्षण कराया जाय।
-हर सप्ताह गांव/बस्ती के लोगों के द्वारा की स्वच्छता अभियान।
– प्रर्यावरण के दृष्टि से गांव/बस्ती में वृक्षारोपण कार्यक्रम किया जाय।
– रक्षाबन्धन एवं मकरसंक्रांति,नवरात्रि में कन्यापूजन समरसता का कार्यक्रम है। बस्ती/ गाव में कार्यक्रम सरस्वती संस्कार केन्द्र माध्यम करना है।
एक गाँव में सेठ रहते थे।उनके दुकान पर एक ग्राहक आया था समान खरीदने के लिए। सेठ ने सब समान तौल दिया। ग्राहक ने रूपये देते समय ग्राहक ने दस रूपये कम था। सेठ ने कहा उधार नहीं देगे। दस रूपये का समान कम कर दिया। ग्राहक ने कहा हम तीन दिन से भूखे हैं। कम समान मत करना हम बाद में दे जायेगे। लेकिन सेठ ने नहीं माना और दस रूपये का कम समान दिया। बाद में सेठ ने दो भोजन पैक कराकर ग्राहक को दिया। सेवा करते समय सेठ ने ऐसा किया। लेकिन व्यवसाय करते समय दया नहीं करना है। सेवा करते समय उदारता पूर्वक करना चाहिए। समाज सहयोग करने के लिए तैयार है बस अपना कार्य दिखना चाहिए कि हम समाज सेवा करते। इस बैठक राघव कुमार सह सेवा संयोजक,कमलेश जी प्रधानाचार्य सरस्वती विद्या निकेतन,रामानंद जी सेवा प्रमुख ज्वालादेवी सरस्वती विद्या मंदिर सिविल लाइन प्रयाग उपस्थित रहें।

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