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मुख्यमंत्री ने उ0प्र0 कृषि अनुसंधान परिषद के 36वें स्थापना दिवस पर आयोजित कृषि वैज्ञानिक सम्मान समारोह को किया सम्बोधित

प्रधानमंत्री जी के वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाये जाने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें विकसित उ0प्र0 बनाना होगा : मुख्यमंत्री

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प्रांजल केसरी न्यूज डेस्क
लखनऊ 22 जुलाई,2025: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश प्रकृति और परमात्मा की असीम कृपा का प्रदेश है। हमारे पास विस्तृत कृषि भूमि व पर्याप्त जल संसाधन हैं। यहां की कृषि भूमि अत्यन्त उर्वरा है। दुनिया में उत्तर प्रदेश सम्भवतः एकमात्र ऐसा राज्य है,जिसका 86 प्रतिशत से अधिक भू-भाग सिंचित है। दूसरी ओर,यहां पर केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा संचालित कृषि विश्वविद्यालयों का एक बेहतरीन संजाल भी मौजूद है।
मुख्यमंत्री जी आज यहां भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान में उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) के 36वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कृषि वैज्ञानिक सम्मान समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने ‘विकसित कृषि विकसित उत्तर प्रदेश/2047’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया।

मुख्यमंत्री जी ने उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद का गीत लॉन्च किया। उन्होंने उपकार की तकनीकी पुस्तिका‘बदलते जलवायु परिदृश्य में श्रीअन्न का उत्पादन एवं मूल्य संवर्धन हेतु अभिनव दृष्टिकोण’,गौ-आधारित प्राकृतिक खेती सतत् कृषि के लिए वरदान,‘उपकार समाचार‘ (न्यूज लेटर) तथा भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान,लखनऊ की पत्रिका ‘इक्षु’ का विमोचन किया। समारोह में मुख्यमंत्री जी ने उत्तर प्रदेश कृषि वैज्ञानिक सम्मान योजना वर्ष 2023-24 तथा वर्ष 2024-25 के तहत विभिन्न क्षेत्रों में चयनित वैज्ञानिकों तथा प्रदेश में कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कृषक उत्पादक संगठनों को सम्मानित किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइन्सेज (उपास) के वर्ष 2024 के अवार्ड एवं फेलो भी प्रदान किये। कार्यक्रम में उपकार के अध्यक्ष कैप्टन (से0नि0) विकास गुप्ता ने मुख्यमंत्री जी को उपकार की प्रमुख उपलब्धियों से अवगत कराया। इसके पूर्व,मुख्यमंत्री जी ने कृषि प्रदर्शनी का अवलोकन किया।


मुख्यमंत्री जी ने विकसित कृषि के माध्यम से विकसित उत्तर प्रदेश की परिकल्पना को साकार करने में योगदान देने वाले सभी कृषि वैज्ञानिकों तथा ‘उपकार‘ को 35 वर्षां की सकुशल व शानदार यात्रा को पूर्ण करने के लिए बधाई देते हुए कहा कि किसी व्यक्ति के पास जिस क्षेत्र की विशेषज्ञता होगी,उसके लिए उस क्षेत्र में आगे बढ़ना उतना ही आसान होता है। उत्तर प्रदेश में 04 कृषि विश्वविद्यालय पहले से संचालित हैं तथा पांचवां कृषि विश्वविद्यालय स्थापित हो रहा है। प्रदेश में कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में 15 से अधिक संस्थान कार्य कर रहे हैं। यहां 89 कृषि विज्ञान केन्द्र अपनी-अपनी विशेषज्ञता का लाभ प्रदेश के अन्नदाता किसानों को प्रदान कर रहे हैं। इन सबके बावजूद अभी तक प्रदेश के मात्र 25 से 30 प्रतिशत किसान ही ऐसे है,जो वैज्ञानिक शोध व अनुसंधान के इन कार्यों को प्रभावी ढंग से अपनी खेती में लागू कर पा रहे हैं।


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में देश की 16 प्रतिशत आबादी निवास करती है। देश की कुल कृषि योग्य भूमि का केवल 11 प्रतिशत ही उत्तर प्रदेश में है। इसी भूमि से हम देश का 20 प्रतिशत से अधिक खाद्यान्न उत्पादित कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश की समतल भूमि, इसकी उर्वरता तथा पर्याप्त जल संसाधन को देखते हुए इस भूमि से तीन गुना अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। इसके लिए हमें कृषि शोध और विकास को आगे बढ़ाने के लिए पूरी प्रतिबद्धता से कार्य करना होगा।


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि दुनिया में वही देश विकसित हुए हैं,जिन्होंने ज्यादा से ज्यादा शोध और विकास पर ध्यान केन्द्रित किया है। यह विकास स्पेस साइंस,आई0टी0, एटॉमिक साइंस सहित अलग-अलग क्षेत्रों में हो सकता है। उत्तर प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में न केवल देश का,बल्कि दुनिया का पेट भरने का सामर्थ्य भी है। कृषि,हार्टिकल्चर, वेजिटेबल के क्षेत्र में हम बहुत कुछ कर सकते हैं। हमें अपने क्लाइमेटिक जोन तथा पर्यावरण के अनुरूप शोध कार्य को आगे बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए। हमारे स्तर पर किये जाने वाले शोध और विकास के कार्यक्रम देश व प्रदेश की प्रगति में निर्णायक भूमिका का निर्वहन कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह आवश्यक नहीं है कि जो बात यूरोप के लिए उपयुक्त है, वह भारत के लिए भी उपयुक्त हो। हमें भारत के पर्यावरण,जलवायु तथा मिट्टी के अनुरूप विकास और शोध कार्यों को आगे बढ़ाने की दिशा में स्वयं को तैयार करना होगा। इसके लिए हमें लगातार प्रयास करने होंगे। यह सभी सम्भावनाएं उत्तर प्रदेश में हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने वर्ष 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य तय किया है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में प्रत्येक राज्य को भी अपनी-अपनी भूमिका का निर्वहन करना होगा। विकसित भारत के लिए हमें विकसित उत्तर प्रदेश बनाना है। विकसित उत्तर प्रदेश बनाने के लिए सभी क्षेत्रों में छुपी सम्भावनाओं को तलाशना है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत ने स्वयं को वर्ष 2027 तक 05 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाये जाने का लक्ष्य तय किया है। हमने इसके दृष्टिगत उत्तर प्रदेश को वर्ष 2029 तक एक ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्ष 2047 में जब भारत 30 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनेगा,उस समय उत्तर प्रदेश कहां होगा, प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय क्या होगी,कृषि,इन्फ्रास्ट्रक्चर,उद्योग,शिक्षा तथा स्वास्थ्य सहित जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हमारी क्या स्थिति होगी, इनके लिए उत्तर प्रदेश सरकार एक व्यापक कार्ययोजना को लेकर आगे बढ़ रही है।


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमने शॉर्ट टर्म,मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म की कार्ययोजनाएं निर्धारित की हैं। हमें इन सबको साथ लेकर चलना होगा,तभी हम बड़ा लक्ष्य प्राप्त कर पाएंगे। कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि अनुसंधान के लिए कार्यरत संस्थानों तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों को इस दिशा में प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इजराइल की मदद से प्रदेश में सेण्टर ऑफ एक्सीलेन्स की स्थापना की गयी है। हमें इसे आगे बढ़ाते हुए इसके एक्सटेन्शन की दिशा में प्रयास करने चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान में जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। इस समय भारी बारिश होनी चाहिए, लेकिन प्रदेश के 15-16 जनपद ऐसे हैं, जहां औसत से कम बारिश हुई है। पड़ोस के जिन राज्यों में कम बारिश होती थी, वहां भारी बारिश हुई है। हमें इन स्थितियों का सामना करने तथा अन्नदाता किसानों को इसके लिए तैयार करने की दिशा में प्रयास करने चाहिए। अक्सर किसान बारिश पर निर्भर रहते हैं। यदि बारिश में विलम्ब हुआ, तो बुआई भी देरी से होती है। इसका विपरीत प्रभाव पैदावार पर पड़ता है। इससे लगभग 30 प्रतिशत तक पैदावार प्रभावित हो सकती है।


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमें लेट वेराइटी के लिए बीजों की उपलब्धता और उनकी बुआई के लिए किसानों को प्रशिक्षित करना चाहिए। अक्सर किसानों को इनके बारे में पता ही नहीं होता है। किसान पुराने ढंग से ही बुआई व रोपाई करते हैं। अगर अन्नदाता किसानों को कृषि विज्ञान केन्द्रों, कृषि विश्वविद्यालयों व कृषि अनुसंधान केन्द्रों के माध्यम से सही समय पर सही जानकारी दी जाए व इनका प्रदर्शन किया जाए, तो कृषि क्षेत्र में विकास तथा अधिक पैदावार हो सकती है। इसके लिए हमारी पहुंच अन्नदाता किसानों तक होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कृषि उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक रोजगार देने वाला क्षेत्र है। लगभग तीन करोड़ किसान कृषि पर निर्भर हैं। इसके बाद एम0एस0एम0ई0 दूसरा सेक्टर है, जिसके अन्तर्गत 01 करोड़ 65 लाख लोग रोजगार प्राप्त करते हैं। इसके अलावा अलग-अलग सेक्टर में भी लोगों ने रोजगार अर्जित किये हैं। कृषि लोगों के पलायन का कारण नहीं, बल्कि उनकी खुशहाली का माध्यम बननी चाहिए। यह तभी सम्भव है, जब हम कृषि क्षेत्र में किये जाने वाले अनुसंधान का लाभ अन्नदाता किसानों को दे पाएंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अगर उत्तर प्रदेश विकसित होता है, तो भारत को विकसित होने से दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं सकती। यदि हर व्यक्ति अपने-अपने क्षेत्रों में ईमानदारी से प्रयास करता है, तो सफलता प्राप्त करने में कोई बाधा नहीं होगी। प्रदेश के कृषि व कृषि से जुड़े हुए सभी सेक्टरों यथा हॉर्टिकल्चर, पशुपालन, वेजिटेबल तथा डेयरी को एक साथ आगे बढ़ाने का कार्य करना होगा। प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि अन्नदाता किसानों के चेहरे पर तभी खुशहाली आएगी, जब हम उनकी लागत को कम करेंगे और उत्पादन को बढ़ाएंगे। यह रिसर्च एवं डेवलपमेण्ट के माध्यम से ही सम्भव हो सकता है।


मुख्यमंत्री जी ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि उपकार प्रदेश के किसानों के बारे में अपने विशिष्ट शोध एवं विकास कार्यक्रमों को आगे बढ़ाएगा। उपकार अपनी 35 वर्षों की उपलब्धियों के साथ किसी विशिष्ट निष्कर्ष पर पहुंचेगा,जो विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने में उत्तर प्रदेश की भूमिका के दृष्टिगत महत्वपूर्ण होंगी।
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि उत्तर प्रदेश कृषि की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण राज्य है। प्रदेश की भूमि की गुणवत्ता व जलवायु अन्य राज्यों की तुलना में अच्छी है। प्रदेश सरकार के प्रयासों से राज्य की 80 प्रतिशत से अधिक भूमि सिंचित हुई है। राज्य के किसानों की समृद्धि बढ़ाए जाने के दृष्टिगत प्रदेश सरकार द्वारा त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम संचालित किया गया है। बुन्देलखण्ड के सभी 07 जनपदों में प्राकृतिक खेती के कार्यक्रम संचालित हो रहे हैं। प्रदेश सरकार द्वारा विगत वर्षों में दलहन व तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को के निःशुल्क मिनी बीज किट वितरित किये गये हैं।


इस अवसर पर उद्यान एवं कृषि विपणन राज्यमंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह,कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह ओलख,गो-सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता, सलाहकार मुख्यमंत्री अवनीश कुमार अवस्थी,प्रमुख सचिव कृषि रविन्द्र,महानिदेशक उपकार डॉ0 संजय सिंह,भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान,लखनऊ के निदेशक डॉ0 दिनेश सिंह तथा विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति,कृषि वैज्ञानिक तथा शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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