उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए

प्रांजल केसरी न्यूज डेस्क
लखनऊ 22 जुलाई,2025:राज्य सरकार के ऐसे सरकारी सेवक जिनका चयन ऐसे पद/रिक्तियों के सापेक्ष हुआ हो, जिसका विज्ञापन प्रदेश में नई परिभाषित अंशदान पेंशन योजना (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली) लागू करने सम्बन्धी राज्य सरकार की अधिसूचना दिनांक 28 मार्च, 2005 के पूर्व हो चुका था, को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना से आच्छादित करने के सम्बन्ध में निर्धारित कट ऑफ तिथियों के विस्तरण का प्रस्ताव अनुमोदित मंत्रिपरिषद ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली से आच्छादित राज्य सरकार के ऐसे सरकारी सेवक जिनका चयन ऐसे पद/रिक्तियों के सापेक्ष हुआ हो, जिसका विज्ञापन प्रदेश में नई परिभाषित अंशदान पेंशन योजना (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली) लागू किये जाने सम्बन्धी राज्य सरकार की अधिसूचना दिनांक 28 मार्च, 2005 के पूर्व हो चुका था, को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना से आच्छादित किये जाने के सम्बन्ध में निर्धारित कट ऑफ तिथियों के विस्तरण का प्रस्ताव अनुमोदित किया है।
मंत्रिपरिषद द्वारा शासनादेश दिनांक 28.06.2024 एवं कार्यालय-ज्ञाप/स्पष्टीकरण दिनांक 22.08.2024 से आच्छादित कार्मिकों द्वारा विकल्प प्रस्तुत करने की पूर्व निर्धारित तिथि 31.10.2024 को बढ़ाकर दिनांक 30.09.2025 तक एवं विकल्प के आधार पर पुरानी पेंशन योजना से आच्छादित करने हेतु नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा आदेश निर्गत करने की पूर्व निर्धारित तिथि 31.03.2025 को बढ़ाकर दिनांक 30.11.2025 तक एवं एन0पी0एस0 खाता बन्द करने की पूर्व निर्धारित तिथि 30.06.2025 को बढ़ाकर दिनांक 28.02.2026 तक किए जाने का निर्णय लिया गया है।
समय-सीमा का यह विस्तरण अन्तिम होगा तथा इसके उपरान्त किसी भी दशा में अग्रतर विस्तरण नहीं किया जायेगा। यदि किसी कर्मचारी द्वारा उपरोक्तानुसार संशोधित तिथियों तक अपना विकल्प प्रस्तुत नहीं किया जाता है तो वह राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली से आच्छादित रहेगा। मंत्रिपरिषद द्वारा इस सम्बन्ध में संशोधन/परिवर्तन की आवश्यकता होने पर आवश्यक सुसंगत संशोधन/परिवर्तन हेतु वित्त मंत्री को अधिकृत किए जाने का निर्णय भी लिया गया है।
ज्ञातव्य है कि ऐसे सेवारत, सेवानिवृत्त कार्मिक जिनकी नियुक्ति दिनांक
01.04.2005 को अथवा उसके उपरान्त हुई थी परन्तु उस नियुक्ति हेतु पद का विज्ञापन, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली लागू किये जाने सम्बन्धी अधिसूचना दिनांक 28.03.2005 के पूर्व प्रकाशित हो चुका था, को शासनादेश संख्या-14/2024/सा-3-243/दस-2024/301(1)/2024, दिनांक 28.06.2024 एवं कार्यालय-ज्ञाप/स्पष्टीकरण दिनांक 22.08.2024 द्वारा पुरानी पेंशन योजना के वरण का एक बार विकल्प दिये जाने की व्यवस्था की गयी।
उक्त शासनादेश दिनांक 28.06.2024 द्वारा पुरानी पेंशन योजना से आच्छादित करने हेतु विकल्प प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 31.10.2024 तथा विकल्प के आधार पर सम्बन्धित नियुक्ति प्राधिकारी के स्तर से पुरानी पेंशन योजना से आच्छादित करने सम्बन्धी आदेश निर्गत करने की तिथि 31.03.2025 तक निर्धारित की गयी थी।
ऐसे कार्मिक जो शासनादेश दिनांक 28.06.2024 एवं कार्यालय-ज्ञाप/स्पष्टीकरण दिनांक 22.08.2024 से आच्छादित थे परन्तु उनके द्वारा निर्धारित समय में पुरानी पेंशन योजना से आच्छादित करने का विकल्प नहीं दिया गया तथा ऐसे कार्मिकों जिनके द्वारा पुरानी पेंशन योजना से आच्छादित करने का विकल्प दिया गया परन्तु निर्धारित तिथि तक नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा ऐसे कार्मिकों को पुरानी पेंशन योजना से आच्छादित करने का आदेश निर्गत नहीं हो पाया उनको एक अवसर दिए जाने के उद्देश्य से मंत्रिपरिषद द्वारा यह निर्णय लिया गया है।
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चित्रकूट लिंक एक्सप्रेस-वे को विकसित किए जाने के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने चित्रकूट लिंक एक्सप्रेस-वे (लम्बाई 15.172 कि0मी0 04 लेन (06 लेन विस्तारणीय)) का विकास ई0पी0सी0 मोड पर किए जाने हेतु व्यय-वित्त समिति द्वारा पूंजीगत मदों हेतु मूल्यांकित लागत 939.67 करोड़ रुपये की धनराशि का प्रस्ताव अनुमोदित किया है।
चित्रकूट लिंक एक्सप्रेस-वे वाराणसी-बांदा मार्ग (राष्ट्रीय मार्ग संख्या 35/76) के कि0मी0 267 पर जनपद चित्रकूट के भरतकूप के निकट से प्रारम्भ होकर राष्ट्रीय मार्ग 135 बी0जी0 पर जनपद चित्रकूट में अहमदगंज में समाप्त होगा। परियोजना हेतु 110 मीटर चौड़ाई का राइट ऑफ वे प्रस्तावित किया गया है। 4 लेन चौड़ाई (06 लेन विस्तारणीय) के इस एक्सप्रेस-वे की सभी संरचनाएं 06 लेन चौड़ाई हेतु निर्मित की जाएंगी। एक्सप्रेस-वे का निर्माण 120 कि0मी0 प्रति घण्टा डिजाइन स्पीड हेतु प्रस्तावित किया गया है।
चित्रकूट लिंक एक्सप्रेस-वे के अन्तर्गत 01 दीर्घ सेतु, 04 लघु सेतु, 01 फ्लाई ओवर, 17 अण्डरपास एवं 23 पुलियों का निर्माण प्रस्तावित है। एक्सप्रेस-वे के कि0मी0 06 में एक स्थान पर टोल प्लाजा एवं टोल कलेक्शन हेतु टोल बूथ का निर्माण किया जाएगा। यात्रियों की सुविधा के लिए कि0मी0-02 में एक जनसुविधा परिसर का निर्माण किया जाएगा। एक्सप्रेस-वे के दोनां ओर आवश्कतानुसार स्टैगर्ड रूप में सर्विस रोड का निर्माण किया जाएगा। सुरक्षा की दृष्टि से एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर वायर फैंसिंग का कार्य प्राविधानित है। एक्सप्रेस-वे के दोनों किनारों एवं मीडयन के दोनों किनारों पर थ्राई बीम मैटल क्रैश बैरियर का कार्य प्रस्तावित है।
यातायात व्यवस्था के सुगम संचालन हेतु एडवान्स्ड ट्रैफिक मैनेजमेन्ट की स्थापना प्राविधानित है। पर्यावरण की दृष्टि से एक्सप्रेस-वे मीडियन में एवं एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर एवेन्यू वृक्षारोपण का कार्य तथा दोनों ओर प्रत्येक 500 मीटर पर रेनवॉटर हारवेस्टिंग की स्थापना प्रस्तावित की गई है। यातायात सुरक्षा की दृष्टि से एक्सप्रेस-वे के निर्माण के पश्चात 24×7 आधार पर एम्बुलेन्स एवं क्रेन की उपलब्धता का प्राविधान किया गया है।
एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य हेतु राज्य सरकार का सम्भावित व्ययभार 939.67 करोड़ रुपये है। परियोजना में केन्द्र सरकार द्वारा किसी प्रकार की भागीदारी अपेक्षित/प्रस्तावित नहीं है। निर्माणकर्ता एजेंसी द्वारा निर्माण के पश्चात अगले 05 वर्षों तक अनुरक्षण का कार्य कराया जाना भी आगणन में सम्मिलित है।
ज्ञातव्य है कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र के विभिन्न जनपदों को सुगम, तीव्र एवं सुरक्षित यातायात सुविधा के माध्यम से प्रदेश की राजधानी एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से जोड़ने तथा औद्योगिक विकास की सम्भावनाएं सृजित करने हेतु बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है। वर्तमान में इस एक्सप्रेस-वे पर यातायात सुचारु रूप से गतिमान है। बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे के प्रारम्भिक बिन्दु से चित्रकूट धाम तक चित्रकूट लिंक एक्सप्रेस-वे का निर्माण हो जाने से पर्यटकों को सुगम और तीव्र यातायात की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। इससे पर्यटन क्षेत्र का तेजी से विकास होगा।
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स्वामी विवेकानन्द युवा सशक्तीकरण योजना के अन्तर्गत निःशुल्क टैबेलट/स्मार्टफोन वितरण के स्थान पर योजनान्तर्गत केवल टैबलेट वितरण किए जाने के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने स्वामी विवेकानन्द युवा सशक्तीकरण योजना के अन्तर्गत प्रदेश के युवाओं के तकनीकी सशक्तीकरण हेतु निःशुल्क वितरित किए जा रहे टैबेलट/स्मार्टफोन के स्थान पर सभी लाभार्थियों हेतु केवल टैबलेट का वितरण किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।
इस प्रस्ताव की स्वीकृति के क्रम में मंत्रिपरिषद द्वारा 22.01.2025 को सम्पन्न अपनी बैठक में 25 लाख स्मार्टफोन क्रय किए जाने सम्बन्धी अनुमोदन के अनुपालन में निर्गत शासनादेश संख्या-।/860757/2025(1480649), दिनांक 24.01.2025 को निरस्त किए जाने का निर्णय भी लिया गया है।
ज्ञातव्य है कि मंत्रिपरिषद की 12.07.2022 को सम्पन्न बैठक में प्राप्त अनुमोदन के क्रम में शासनादेश संख्या 975/77-1-2022-156/2021 दिनांक 18.07.2022 के अन्तर्गत लाभार्थियों को निःशुल्क टैबलेट/स्मार्टफोन वितरित किए जा रहे थे।
स्वामी विवेकानन्द युवा सशक्तीकरण योजना 05 वर्ष के लिए लागू है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2025-26 हेतु 02 हजार करोड़ रुपये का प्राविधान किया गया है। स्मार्टफोन की तुलना में टैबलेट की बड़ी स्क्रीन, बेहतर बैटरी क्षमता, ॅवतकए म्गबमसए च्वूमतच्वपदजए ळववहसम ैममजे आदि जैसे प्रोडक्टिविटी एप्स के बेहतर उपयोग, मल्टीटास्किंग, शैक्षिक कार्यों में अधिकाधिक उपयोग आदि से योजना के उद्देश्य को अधिक प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकेगा। प्रदेश के युवाओं को डिजिटली सशक्त बनाने हेतु टैबलेट वितरण किए जाने की यह एक अभिनव योजना है।
स्नातक, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा, कौशल विकास तथा पैरामेडिकल आदि विभिन्न शिक्षण/प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अन्तर्गत लाभार्थी युवा वर्ग को टैबलेट निःशुल्क प्रदान करने से न केवल वह अपने शैक्षिक पाठ्यक्रमों को सफलतापूर्वक पूर्ण कर सकेंगे, वहीं उसके उपरान्त विभिन्न शासकीय/गैर-शासकीय तथा स्वावलम्बन की योजनाओं में भी वे इसका सदुपयोग कर सेवारत/व्यवसायरत हो सकेंगे।
स्वामी विवेकानन्द युवा सशक्तीकरण योजना के अन्तर्गत अब तक 22.80 लाख टैबलेट एवं 37.25 लाख स्मार्टफोन अर्थात कुल 60.05 लाख उपकरणों की आपूर्ति प्रदेश के विभिन्न जनपदों में करायी जा चुकी है। दिनांक 09.04.2025 तक 16.75 लाख टैबलेट एवं 36.75 लाख स्मार्टफोन अर्थात कुल 53.50 लाख उपकरणों का वितरण किया जा चुका है तथा शेष का वितरण जनपद स्तर से प्रक्रियागत है।
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आई0आर0डी0ई0,डी0आर0डी0ओ0,रक्षा मंत्रालय,भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित आई0आर0 डिटेक्शन टेक्नोलॉजी सेन्टर के पक्ष में 10 हेक्टेयर भूमि निःशुल्क 01 रु0 की वार्षिक लीज रेन्ट पर दिए जाने का प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने आई0आर0डी0ई0, डी0आर0डी0ओ0, रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित आई0आर0 डिटेक्शन टेक्नोलॉजी सेन्टर के पक्ष में 10 हेक्टेयर भूमि निःशुल्क 01 रुपये की वार्षिक लीज रेन्ट पर दिए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित किया है। राष्ट्रीय सुरक्षा एवं रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक के विकास के लिए उत्तर प्रदेश एयरोस्पेस तथा रक्षा इकाई एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2024 के प्राविधानों में शिथिलीकरण करते हुए यह निर्णय लिया गया है।
इस नीति में आच्छादित पात्र औद्योगिक इकाइयों की तरह आई0आर0 डिटेक्शन टेक्नोलॉजी सेन्टर को भूमि क्रय पर 100 प्रतिशत से स्टाम्प ड्यूटी से छूट दी जाएगी। सम्बन्धित उपक्रम को नीति के अन्तर्गत अन्य कोई लाभ अनुमन्य नहीं कराया जाएगा। मंत्रिपरिषद के अनुमोदनोपरान्त यूपीडा द्वारा भूमि आवंटन की कार्यवाही 15 दिन में पूर्ण कर दी जाएगी। यह सेन्टर उत्तर प्रदेश डिफेंस इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर के लखनऊ नोड में स्थापित किया जाएगा। इस परियोजना के अन्तर्गत लगभग 150 इंजीनियर्स तथा तकनीकी कर्मियों को प्रत्यक्ष एवं 500 से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त होने की सम्भावना है।
ज्ञातव्य है कि यंत्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान (आई0आर0डी0ई0) देहरादून, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी0आर0डी0ओ0) की एक घटक प्रयोगशाला है। यह संस्थान आई0आर0 डिटेक्टरों के विकास और निर्माण के लिए स्वदेशी फैब-लाइन की स्थापना की एक नई परियोजना शुरु कर रहा है। इस परियोजना में सेमीकंडक्टर आई0 आर0 डिटेक्टर निर्माण सुविधा स्थापित करने का प्रस्ताव है। यह भारत को अग्रणी देश की श्रेणी में शामिल करेगा।
इस परियोजना में एक निर्माण भवन और विभिन्न श्रेणियों से स्वच्छ कमरों के साथ अत्याधुनिक स्वच्छ कक्ष सुविधा शामिल है। आई0आर0डी0ई0 विभिन्न थर्मल इमेजिंग सिस्टम और मल्टीसेंसरी सर्विलांस सिस्टम के विकास में शामिल है। इसके लिए आई0आर0 डिटेक्टरों की आवश्यकता होती है। इस प्रकार आई0आर0 डिटेक्शन टेक्नोलॉजी सेन्टर का लखनऊ नोड में विकास रक्षा उत्पादन के ईकोसिस्टम के विकास हेतु एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
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उत्तर प्रदेश राज्य में महिला के पक्ष में निष्पादित विलेखों पर प्रभार्य स्टाम्प शुल्क में छूट निर्धारित किए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य में महिला के पक्ष में निष्पादित विलेखों पर प्रभार्य स्टाम्प शुल्क में छूट निर्धारित किए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है। इस निर्णय के अनुसार प्रदेश में महिलाओं के पक्ष में निष्पादित होने वाले विलेखों पर प्रभार्य स्टाम्प शुल्क में दी गई छूट को विस्तारित करते हुए 01 करोड़ रुपये मूल्य तक के विलेखों पर प्रभार्य स्टाम्प शुल्क में 01 प्रतिशत की छूट प्रदान की जाएगी।
ज्ञातव्य है कि केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा महिला सशक्तीकरण हेतु विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इन योजनाओं से महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के साथ-साथ सामाजिक भागीदारी में भी वृद्धि हुई है। इस छूट को प्रदान करने से महिलाओं के नाम सम्पत्ति के पंजीकरण में भारी वृद्धि होने की सम्भावना है। इससे महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के दृष्टिगत राज्य सरकार के मिशन शक्ति कार्यक्रम के उद्देश्य पूर्ति में सहायता मिलेगी। इस प्राविधान से सम्पत्ति स्वामित्व धार्यता हेतु महिलाओं, विशेष रूप से मध्यम वर्ग की महिलाओं को लाभ मिलेगा।
अचल सम्पत्ति का निबन्धन महिलाओं के पक्ष में अधिकाधिक होने पर महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा मिलेगा तथा समाज का आर्थिक उन्नयन होगा। महिलाओं के पक्ष में सम्पत्ति के स्वामित्व से सामाजिक सम्मान एवं वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा मिलेगा। बजट 2024 में भी भारत सरकार द्वारा महिलाओं के पक्ष में निष्पादित होने वाले अन्तरण विलेखों में स्टाम्प शुल्क की दर कम किए जाने की अपेक्षा की गई है।
भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 सपठित संविधान की अनुसूची-7 की द्वितीय सूची (राज्य सूची) की प्रविष्टि 63 तथा तृतीय सूची (समवर्ती सूची) की प्रविष्टि 44 के अन्तर्गत राज्य विधान मण्डल को अपने क्षेत्र के विलेखों के लिए स्टाम्प शुल्क की दरों के निर्धारण का अधिकार प्राप्त है। इन प्राविधानों के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश राज्य में घटित विलेखों पर स्टाम्प शुल्क की देयता हेतु स्टाम्प दरों के निर्धारण हेतु भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 की अनुसूची-1 (ख) प्रख्यापित की गयी है, जिसमें समय-समय पर आवश्यकतानुसार संशोधन किये गये हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य में संस्थागत वित्त, कर एवं निबन्धन अनुभाग-5 की अधिसूचना सं0-सं0वि0क0नि0-5-462/11-2006-500(92)-2005 दिनांक 23.02.2006 एवं अधिसूचना संख्या-सं0वि0क0नि0-5-2756/ग्यारह-2008-500(165)-2007 दिनांक
30.06.2008 द्वारा स्त्रियों के पक्ष में 10 लाख रुपये तक की स्थावर सम्पत्ति के अन्तरण के सम्बन्ध में देय स्टाम्प शुल्क में 1 प्रतिशत की छूट प्रदान की गयी है। उदाहरणार्थ विलेख का मूल्य यदि 10 लाख रुपये तक है तो उस पर प्रभार्य स्टाम्प शुल्क में 10 हजार रुपये तक की छूट प्राप्त होती है। इसी प्रकार यदि विलेख का मूल्य यदि 10 लाख रुपये से अधिक है तो भी उस पर 10 हजार रुपये के स्टाम्प शुल्क की अधिकतम छूट प्राप्त होती है।
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टाटा टेक्नोलॉजी लिमिटेड के सहयोग से प्रदेश की 121 राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थाओं के उन्नयन का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने टाटा टेक्नोलॉजी लिमिटेड (टी0टी0एल0) के सहयोग से प्रदेश की 121 राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थाओं का उन्नयन किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की। इसके अन्तर्गत 121 राजकीय पॉलीटेक्निक में टी0टी0एल0 द्वारा एक्सीलेंस सेन्टर स्थापित कर उन्नयन किया जाएगा।
ज्ञातव्य है कि प्राविधिक शिक्षा विभाग के डिप्लोमा सेक्टर के अन्तर्गत 147 राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थाएं संचालित हैं, जिनमें विभिन्न प्रकार के 01 से 03 वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में शिक्षण-प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। समय परिवर्तन के साथ तकनीकी क्षेत्र में भी निरन्तर बदलाव हो रहे हैं, जिसके फलस्वरूप वर्तमान में शिक्षण संस्थानों में पढ़ाए जा रहे बहुत से पाठ्यक्रम की कुछ अंश अप्रसांगिक हो गए हैं और वर्तमान आवश्कताओं के अनुरूप नहीं रहे गए हैं।
इस विषमता को दूर करने हेतु, नए तकनीकी ज्ञान/पाठ्यक्रमों को शिक्षा प्रणाली में समाविष्ट कर उसे वर्तमान एवं भविष्य की तकनीकी आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार कर औद्योगिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने हेतु प्रदेश के 121 राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थाओं में टी0टी0एल0 के सहयोग से ‘टाटा टेक्नोलॉजी एक्सीलेंस सेन्टर’ स्थापित कर संस्थाओं का उन्नयन कराया जाना है।
प्रदेश के 121 राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थाओं में ‘टाटा टेक्नॉलाजी एक्सीलेंस सेन्टर’ स्थापित कर संस्थाओं का उन्नयन किये जाने हेतु मशीनों एवं उपकरणों की स्थापना के लिये प्रति संस्थान 5732.12 लाख रुपये अर्थात कुत धनराशि 693586.52 लाख रुपये का व्ययभार आयेगा। इसमें से 87 प्रतिशत धनराशि 603420.27 लाख रुपये टाटा टेक्नोलॉजी लिमिटेड द्वारा तथा 13 प्रतिशत धनराशि 106396.17 लाख रुपये राज्य सरकार/विभाग द्वारा वहन की जायेगी। सिविल इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं अन्य मूलभूत सुविधाओं की स्थापना हेतु प्रति संस्थान 709.19 लाख रुपये की दर से कुल धनराशि 85811.99 लाख रुपये का व्यय भार राज्य सरकार/विभाग द्वारा वहन किया जायेगा।
प्रथम चरण में पायलट प्रोजेक्ट के रुप में 45 पॉलीटेक्निक संस्थाओं का उन्नयन किया जाना है। इस प्रोजेक्ट से प्रदेश के डिप्लोमा सेक्टर में अध्ययनरत छात्रों को गुणवत्तायुक्त तकनीकी शिक्षा उपलब्ध होगी, जिससे उनके सेवायोजन में वृद्धि होगी तथा औद्योगिक आवश्यकता के अनुरूप छात्रों को सॉफ्ट स्किल, व्यक्तित्व विकास जैसे आवश्यक कौशल प्राप्त हांगे।
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राज्य विधान मण्डल के दोनों सदनों का वर्ष 2025 का द्वितीय सत्र (वर्षाकालीन सत्र) 11 अगस्त, 2025 को आहूत किए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने राज्य विधान मण्डल के दोनों सदनों का वर्ष 2025 का द्वितीय सत्र (वर्षाकालीन सत्र) 11 अगस्त, 2025 (सोमवार) को आहूत कर लिए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।
ज्ञातव्य है कि राज्य विधान मण्डल के दोनों सदनों का विगत सत्र 18 फरवरी, 2025 को आहूत किया गया था। उक्त सत्र में विधान सभा/विधान परिषद् की बैठकें 05 मार्च, 2025 के उपवेशन के पश्चात् अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गयी थीं। इसके पश्चात् विधान सभा/विधान परिषद् का सत्रावसान भी 12 मार्च, 2025 से कर दिया गया था।
उत्तर प्रदेश विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन नियमावली, 2023 के नियम 14 में यह व्यवस्था है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 174 के अधीन रहते हुए साधारणतया प्रत्येक वर्ष विधान सभा के तीन अधिवेशन अर्थात आय-व्ययक अधिवेशन, वर्षाकालीन अधिवेशन एवं शीतकालीन अधिवेशन तथा 90 दिन के उपवेशन होंगे।
उपर्युक्त के अतिरिक्त भारत के संविधान के अनुच्छेद 174 (1) में यह भी व्यवस्था है कि विधान मण्डल के एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तारीख के बीच छः माह का अन्तर नहीं होगा। चूंकि विगत सत्र में विधान सभा एवं विधान परिषद् की अंतिम बैठकें 05 मार्च, 2025 को हुई थी, अतः उक्त संवैधानिक व्यवस्था के क्रम में विधान मण्डल का आगामी सत्र 05 सितम्बर, 2025 से पूर्व किसी उपयुक्त तिथि को आहूत किया जाना अपेक्षित होगा।
इसके अतिरिक्त, उक्त नियमावली के नियम 4 (2) में यह व्यवस्था है कि विधान सभा सत्र के लिए नियत तिथि की सूचना माननीय सदस्यों को साधारणतया 07 दिन पूर्व प्रमुख सचिव, विधान सभा द्वारा दी जाएगी। विगत सत्र के सत्रावसान के पश्चात शासन के महत्वपूर्ण निर्णयों को कार्यान्वित किये जाने हेतु प्रख्यापित अध्यादेशों के प्रतिस्थानी विधेयकों को विधान मण्डल के आगामी सत्र में पारित कराया जाना वांछनीय होगा। इसके अतिरिक्त, राज्य विधान मण्डल के आगामी सत्र में कतिपय अपरिहार्य औपचारिक एवं विधायी कार्य भी कराये जा सकते हैं।
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यूपीएग्रीज के अन्तर्गत ‘एक्वाकल्चर परियोजना’ तथा जेवर एयरपोर्ट के निकट ‘एग्री एक्सपोर्ट हब’ की स्थापना के सम्बन्ध में नीतिगत प्रोत्साहन दिए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने ‘उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ग्रोथ एण्ड रूरल इण्टरप्राइज ईकोसिस्टम स्ट्रेन्थनिंग परियोजना (यूपीएग्रीज)’ के अन्तर्गत ‘एक्वाकल्चर परियोजना’ तथा जेवर एयरपोर्ट के निकट ‘एग्री एक्सपोर्ट हब’ की स्थापना के सम्बन्ध में नीतिगत प्रोत्साहन दिए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।
पूर्वांचल के 21 जनपदों तथा बुन्देलखण्ड के 07 जनपदों अर्थात कुल 28 जनपदों में विश्व बैंक सहायतित ‘उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ग्रोथ एण्ड रूरल इण्टरप्राइज ईकोसिस्टम स्ट्रेन्थनिंग परियोजना (यूपीएग्रीज)’ का क्रियान्वयन किया जा रहा है। परियोजना की अवधि 06 वर्ष (वित्तीय वर्ष 2024-25 से 2029-30) है। परियोजना का क्रियान्वयन विश्व बैंक एवं राज्य सरकार के 70ः30 के अनुपात में वित्त पोषण से किया जा रहा है।
यूपीएग्रीज परियोजना के प्रथम वर्ष के वर्क प्लान की विश्व बैंक द्वारा समीक्षा की गई। तत्पश्चात दी गई संस्तुतियों के आलोक में यूपीएग्रीज परियोजना के अन्तर्गत एक्वाकल्चर परियोजना की स्थापना के लिए संयुक्त अरब अमीरात की बहुराष्ट्रीय कम्पनी एक्वाब्रिज को तथा जेवर अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निकट एग्री एक्सपोर्ट हब की स्थापना के लिए इनोवा फूड पार्क, कोलार, कर्नाटक को नीतिगत प्रोत्साहन दिया जाना प्रस्तावित है।
एक्वा कल्चर परियोजना की स्थापना के लिए संयुक्त अरब अमीरात की बहुराष्ट्रीय कम्पनी ’एक्वाब्रिज’ को विभिन्न अनुदान/सहायता प्रदान की जाएगी। इसके तहत एफ0डी0आई0/एफ0सी0आई0, फॉर्च्यून-500 कम्पनियां निवेश प्रोत्साहन नीति-2023 की तर्ज पर 75 प्रतिशत फ्रण्ट एण्ड लैण्ड सब्सिडी (प्रीमियम राशि एवं एकमुश्त लीज रेण्ट सहित) के साथ 60 एकड़ भूमि औद्योगिक क्षेत्र में आवंटित की जाएगी। साथ ही, स्टाम्प शुल्क से 100 प्रतिशत छूट, प्रमोटर द्वारा किए गए निवेश के अनुपात में (pari-passu) प्रमोटर द्वारा किए गए निवेश के सापेक्ष 25 प्रतिशत पूंजी सब्सिडी का भुगतान किया जाएगा, दो वर्षों के लिए विद्युत शुल्क में छूट दी जाएगी तथा निर्यात के लिए हवाई अड्डे/बंदरगाह तक परिवहन लागत पर 75 प्रतिशत परिवहन सब्सिडी प्रदान की जाएगी। यह सारी सुविधायें समन्वय विभाग के बजट से दी जायेंगी।
इसी प्रकार, जेवर हवाई अड्डे के निकट एग्री एक्सपोर्ट हब की स्थापना के लिए इनोवा फूड पार्क, कोलार, कर्नाटक को विभिन्न अनुदान/सहायता दी जाएगी। इसमें एफ0डी0आई0/एफ0सी0आई0, फॉर्च्यून-500 कम्पनियां निवेश प्रोत्साहन नीति-2023 के तहत स्वीकार्य 75 प्रतिशत फ्रण्ट एण्ड लैण्ड सब्सिडी (प्रीमियम एवं एकमुश्त लीज रेण्ट के साथ) पर यमुना एक्सप्रेस-वे इण्डस्ट्रियल डेवलपमेन्ट अथॉरिटी (यीडा) में 50 एकड़ भूमि का आवंटन, स्टाम्प शुल्क से 100 प्रतिशत छूट, 50 प्रतिशत पूंजी सब्सिडी प्रमोटर द्वारा निवेश के साथ समतुल्य (pari-passu) भुगतान की व्यवस्था तथा दो वर्षों के लिए विद्युत शुल्क में छूट शामिल है। यह सारी सुविधायें समन्वय विभाग के बजट से दी जायेंगी।
एक्वाकल्चर आधारभूत संरचना उत्तर प्रदेश के मत्स्य पालकों की आवश्यकताओं की पूर्ति करेगी तथा राज्य को ’फिंगरलिंग्स’ के निर्यात के अवसर प्राप्त होंगे। 4,000 करोड़ रुपये (467 मिलियन अमेरिकी डॉलर) के प्रस्तावित निवेश के अन्तर्गत विश्व स्तरीय ट्रेनिंग सेन्टर की स्थापना और मिडल ईस्ट एवं अन्य देशों में मत्स्य उत्पाद निर्यात करने के लिए एक बाय-बैक व्यवस्था स्थापित होगी। इस इण्टरवेन्शन्स से वर्तमान सप्लाई चेन में विद्यमान कठिनाइयों का निवारण होगा तथा एक सुदृढ़ बाय-बैक व्यवस्था एवं निर्यात अनुकूल वातावरण उत्पन्न होगा।
जेवर एयरपोर्ट के पास प्रस्तावित एग्री एक्सपोर्ट हब में उत्पादों के सभी प्रकार के टेस्ट एवं ट्रीटमेन्ट की सुविधा एक ही स्थान पर उपलब्ध होगी। कार्गो प्लेन के माध्यम से मिडल ईस्ट/यूरोप, रशिया व अन्य द