लक्ष्य के अनुरूप हमारी कार्य पद्धति- दिनेश सिंह

प्रांजल केसरी न्यूज एजेंसी
अमेठी: विद्या भारती द्वारा संचालित सरस्वती शिक्षा मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ग्राम भारती परितोष अमेठी में चल रहे 10 दिवसीय नव चयनित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग के अष्टम दिवस पर मां सरस्वती के चित्र पर दीपार्चन एवं पुष्पार्चन दिनेश सिंह क्षेत्रीय प्रशिक्षण प्रमुख एवं सचिव भारतीय शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा संपन्न हुआ। आपका परिचय प्रदेश निरीक्षक राजबहादुर दीक्षित ने कराया। विवेक शर्मा द्वारा आपका अंग वस्त्र एवं श्रीफल के द्वारा स्वागत किया गया।

आपने कहा कि जो लोग सदा मुस्कुराते रहते हैं,वह नारायण की ओर जाते हैं जैसे महाभारत के युद्ध में भगवान कृष्ण मुस्कुराते रहते थे। विद्या भारती के लक्ष्य के विषय में कहा कि लक्ष्य तय करना आसान है किंतु लक्ष्य प्राप्त करना बहुत कठिन होता है। इसके लिए साधना करना होता है। लक्ष्य की विशालता एवं स्पष्टता,त्रुटिहीन लक्ष्य,अटल संकल्पना,साधना,लक्ष्य का सतत एवं व्यापक मूल्यांकन करना नितांत आवश्यक है। किसी बच्चे को देवत्व की प्राप्ति करना कठिन होता है। विद्या भारती ने अपने लक्ष्य की चुनौती को स्वीकार किया है। लक्ष्य प्रधानाचार्य कक्ष,आचार्य कक्ष,वंदना सभा में लगा होना चाहिए। भूमि मेरी मां है,मैं उसका पुत्र हूं,यह मातृभूमि है,धर्म भूमि,कर्मभूमि,देवभूमि एवं मोक्ष भूमि है। इसीलिए कहते हैं गायन्ति देवा: किल गीत कानी,धन्यास्तु ते भारत भूमि भागे।

इतिहास के गौरवशाली प्रसंग को,वेश भूषा,सज्जा,प्रेरणादायक प्रसंग,वंदना सभा में बच्चों को सुनना चाहिए। घरों में भारत माता का चित्र लगा हो। हमें अपने आचरण द्वारा हिंदू होना सिद्ध करना चाहिए। जैसे-हिंसा से दूरी,धर्म पालन,संस्कृति अपनाना,हिंदू दर्शन,हिंदू आचार विचार,नारियों का सम्मान,पराए धन को मिट्टी के समान समझना,उदारता,पशु-पक्षी,वृक्षों में देवता का वास समझना। हमारे बच्चे वंदना,गायत्री मंत्र,शांति पाठ,ओमकार ध्वनि निकालना,अपने जीवन में लाएं। एनईपी के अनुसार शिक्षा कौशल विकास युक्त हो,अनुभव आधारित हो,बच्चे स्वयं करके सीखें,आचार्य उन्हें सीखने के लिए प्रेरित करें,इस प्रकार हमारी शिक्षा होनी चाहिए। कार्यक्रम में संभाग निरीक्षक कमलेश,वीरेंद्र सिंह,प्रधानाचार्य वन्धु,प्रशिक्षार्थी एवं प्रचार प्रमुख संतोष मिश्र उपस्थित रहे।