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मुख्यमंत्री ने जनपद वाराणसी में ‘बिरसा मुण्डा की विरासत,जनजातीय सशक्तिकरण और राष्ट्रीय आन्दोलन के उत्प्रेरक’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया

भगवान बिरसा मुण्डा की विरासत राष्ट्रीय एकता तथा सामाजिक सौहार्द को बनाये रखने की प्रेरणा प्रदान करती : मुख्यमंत्री

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प्रांजल केसरी न्यूज डेस्क
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि भगवान बिरसा मुण्डा की विरासत राष्ट्रीय एकता तथा सामाजिक सौहार्द को बनाये रखने की प्रेरणा प्रदान करती है। भगवान बिरसा मुण्डा धरती माता को गुलामी की बेड़ियों से आजाद करने के लिए किए जाने वाले संघर्ष के प्रतीक हैं। जनजातीय समुदाय के लोगों ने सदैव से समाज की अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर भारत की विरासत व धरोहर को संरक्षित करने का कार्य किया है। 
मुख्यमंत्री जी आज जनपद वाराणसी में वसंत महिला महाविद्यालय के भूगोल विभाग एवं भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आई0सी0एस0एस0आर0) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘बिरसा मुण्डा की विरासत, जनजातीय सशक्तिकरण और राष्ट्रीय आन्दोलन के उत्प्रेरक’ विषय पर आधारित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करने के उपरान्त अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस संगोष्ठी का लक्ष्य ‘धरती आबा‘ भगवान बिरसा मुण्डा की विरासत को जीवन्तता प्रदान करना है। भगवान बिरसा मुण्डा के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन प्रदेश सहित देशभर में किया जाता है। यह जनजातीय समाज के मन में नये विश्वास को बहाल करने के हमारे प्रयासों का हिस्सा है। इस प्रकार के आयोजनों से हम राष्ट्रीय एकता को और अधिक सुदृढ़ करने में सफल होंगे। जनजातीय समुदाय प्रत्येक वर्ष 15 नवम्बर की तिथि को भगवान बिरसा मुण्डा की जयन्ती गौरवपूर्ण तरीके से मनाता है। जनजातीय समुदाय के बीच संवाद स्थापित करने हेतु प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 15 नवम्बर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की प्रेरणा दी। यह वर्ष भगवान बिरसा मुण्डा की 150वीं जयन्ती का वर्ष भी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि माँ गंगा के सान्निध्य में स्थित वसंत महिला महाविद्यालय का अत्यन्त शानदार व आध्यात्मिक वातावरण भारत की प्राचीन गुरुकुल परम्परा की स्मृतियों को जीवन्त करता है। श्रीमती एनी बेसेन्ट का भारत के स्वाधीनता आन्दोलन में प्रमुख योगदान है। आयरिश मूल की होते हुए भी उन्होंने भारत की मूल परम्परा को किसी भी भारतीय से बढ़कर सम्मान दिया तथा इसे आगे बढ़ाने में अपना योगदान दिया। वाराणसी स्थित बी0एच0यू0 के माध्यम से महामना मदन मोहन मालवीय ने भारत की मूल परम्परा को आगे बढ़ाने का कार्य किया। इसी प्रकार वसंत महाविद्यालय अपनी विरासत को आगे बढ़ाने का अभिनन्दनीय कार्य कर रहा है।।


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय अत्यन्त सामयिक है। जनजातीय समाज ने राष्ट्रीय आन्दोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है। देश व सनातन धर्म के समक्ष आ रही चुनौतियों का जनजातीय समुदाय के लोगों ने सदैव अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर सामना किया है। भगवान श्रीराम के वनवास के दौरान जब माता सीता का अपहरण हुआ, तो जनजातीय समुदाय के लोगों ने अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर भगवान श्रीराम के साथ मिलकर उस समय की सबसे बड़ी ताकत के साथ युद्ध लड़ा। वनवास के कालखण्ड में जब प्रभु श्रीराम चित्रकूट निवास करने गये, तो वहां सबसे पहले उनका स्वागत कोल जनजातीय समुदाय ने किया था। भगवान श्रीराम की विरासत को संरक्षित करने के क्रम में प्रयागराज, चित्रकूट और मीरजापुर में कोल जनजाति को भी सभी सुविधाओं से युक्त किया जा रहा है। भगवान श्रीकृष्ण के पूरे अभियान के दौरान जनजातीय समुदाय के लोग उनके साथ रहे। जनजातीय समुदाय के इस कार्य के लिए सभी उनके प्रति कृतज्ञ हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मध्यकालीन भारत में हल्दी घाटी युद्ध के बाद महाराणा प्रताप को जंगल में प्रस्थान करना पड़ा था। उस समय भील, मीणा और वहां के जनजातीय समाज के लोग महाराणा प्रताप के साथ खड़े हुए। उन्होंने महाराणा प्रताप को बचाने व उनकी सैन्य शक्ति को पुनर्जीवित करने में अपना योगदान दिया। इनके सहयोग से महाराणा प्रताप ने अपनी संगठित सेना से अकबर द्वारा जीते गए दुर्गों व किलों को पुनः प्राप्त कर भारत के गौरव की स्थापना की। छत्रपति शिवाजी महाराज ने जनजातीय समाज के लोगों के साथ तत्कालीन समय में इतिहास के सबसे बर्बर शासक औरंगजेब के विरूद्ध युद्ध कर हिन्दवी साम्राज्य की स्थापना की।


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जनजातीय समुदाय के लोगों ने समाज की अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर भारत की विरासत व धरोहर को संरक्षित करने का कार्य किया है। विगत कई वर्षों में हमें इस परम्परा से काटने-छांटने का प्रयास किया गया। आज भी जनजातीय समुदाय विषम परिस्थितियों में रह रहा है। अपनी स्वयं की मेहनत से जनजातीय समुदाय ने भारत की विरासत को संरक्षित रखा है। उन्होंने वेदों के व्यावहारिक स्वरूप को अंगीकार किया है। लोग वैदिक उद्घोष ‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः‘ की बात करते हैं, किन्तु स्वार्थ सिद्धि हेतु अच्छे पेड़ काटने, तालाबों में कूड़ा फेंकने, तालाब की भूमि व नदी के किनारे कब्जा करने में संकोच नहीं करते हैं। मानव जाति को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ता है। लेकिन जनजातीय समुदाय के लोगों ने व्यावहारिक तौर पर धरती माता के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन पूरी तत्परता से किया है। उन्होंने प्रकृति की पूजा को महत्व दिया है।


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जनजातीय समुदाय ने वेदों को अपने जीवन में अंगीकार कर भारत की सनातन परम्परा को संरक्षित रखा है। भारत की सनातन परम्परा में यह कहीं नहीं कहा गया है कि जो व्यक्ति मन्दिर जाएगा, पूजा करेगा, किसी विशेष ग्रन्थ को मानेगा, वही हिन्दू है, बल्कि जो इन्हें मानेगा वह भी हिन्दू है और जो नहीं मानेगा, वह भी हिन्दू है। हमने चार्वाक को ऋषि तथा भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार माना है। जैन परम्परा को भी पूरा सम्मान दिया है। जनजातीय समुदाय देश की परम्परा में रचा-बसा भारत का आदि समुदाय है। इस समुदाय ने भारत की सनातन परम्परा को सदैव मजबूती प्रदान की है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वेदों की ऋचाएं किसी राजमहल में नहीं, बल्कि जंगलों के सुरम्य वातावरण में रची गई हैं। हमारे हर प्राचीन ग्रन्थ का एक पक्ष अरण्य से भी जुड़ा होता है। अरण्य जीवन भारत की वैदिक परम्परा का हिस्सा रहा है। इससे अलग जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। एक शरारत के तहत पश्चिमी सभ्यता से जुड़े लोगों ने भारत की प्राचीन परम्परा को कुण्ठित करने का काम किया है। परिणामस्वरूप हमने अपने ही जनजातीय समुदाय को स्वयं से अलग कर दिया। यह समुदाय भारत की विरासत का सच्चा प्रतिनिधित्व करता है। जनजातीय समुदाय ने आजादी के किसी भी आन्दोलन में अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर नेतृत्व प्रदान किया और भारत की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए तत्पर रहे।


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत की पूर्ववर्ती सरकारें शासन की योजनाओं का लाभ जनजातीय समुदायों तक नहीं पहुंचा पायीं। जबकि जनजातीय समुदाय में राष्ट्रीयता कूट-कूट कर भरी है। यह समुदाय संसाधन से दूर होकर जीवन-यापन कर रहे थे। हमारी सरकार जनजातीय समुदायों को विभिन्न सुविधाएं देकर संतृप्तता के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में निरन्तर कार्य कर रही है। उनके ग्रामों को राजस्व ग्राम का दर्जा देने का कार्य किया जा रहा है। वर्ष 1947 से वर्ष 2017 तक दर्जनों ऐसे गांव थे, जहां जनजातीय समुदाय के लोग निवास कर रहे थे, लेकिन उन्हें मताधिकार, राशन व पेंशन आदि की सुविधा नहीं मिल पाती थी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जनजातीय समुदाय से संवाद स्थापित करने के प्रधानमंत्री जी के भाव को आगे बढ़ाते हुए प्रदेश की डबल इंजन सरकार ने सर्वप्रथम जनजातीय समुदाय के लोगों का राशन कार्ड बनाने तथा भूमि का पट्टा आवंटित करने का कार्य किया। उन्हें पेंशन,आवास तथा अन्य सुविधाओं से भी जोड़ा गया। सोनभद्र,मीरजापुर,चन्दौली में गोंड,बुक्सा,चेरो,नेपाल सीमा के तराई क्षेत्र में मुसहर व थारू,बुन्देलखण्ड में सहरिया, बिजनौर में बुक्सा आदि जनजातियों को विभिन्न सुविधाओं से संतृप्त करने के कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।


मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कुछ उपद्रवी भारत की आस्था को बिगाड़ने, लोगों को भड़काने तथा बदनाम करने की कोशिश करते हैं। ये वही लोग हैं, जो जनजातीय समुदायों को भारत की परम्परा से अलग करने का प्रयास करते हैं। उन्हें भारत के खिलाफ संघर्ष करने के लिए प्रत्येक स्तर पर षड़यन्त्र कर जातीय संघर्ष को बढ़ावा देना चाहते हैं। यह वही लोग हैं, जो सदैव भारत की आस्था का अपमान करते हैं। यही लोग आज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फेक एकाउण्ट बनाकर समाज में जातीय संघर्ष की स्थिति पैदा करना चाहते हैं। हमें इनसे सावधान रहना होगा तथा समाज को सुरक्षित रखना होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भगवान बिरसा की विरासत हमें राष्ट्रीय एकता की इन्हीं चुनौतियों से जूझने की सामर्थ्य एवं प्रेरणा प्रदान करती है। हमें इनसे सीख लेनी चाहिए। यदि समाज की एकता व शान्ति भंग करने वाले कारकों को चिन्हित कर समय रहते बेनकाब किया जाए, तो राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ किया जा सकता है।
इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह,श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर, स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल, आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ0 दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’, पद्मश्री अशोक भगत सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

 

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