शहरों में घट रही हरियाली,साल 2040 तक दुनियाभर में 200 करोड़ लोग बढ़ती गर्मी से जूझेंगे


प्रांजल केसरी
दिल्ली। भविष्य में जलवायु परिवर्तन के कारण शहरों को गंभीर चुनौतियों से जूझना होगा। दुनिया भर में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन का एक बड़ा हिस्सा शहर पैदा कर रहे हैं। बगैर योजनाबद्ध तरीके से तेजी से विकसित होते शहरों और उनका उचित प्रबंधन न किए जाने का खामियाजा हरे-भरे क्षेत्रों को भुगतना पड़ रहा है। शहरों की हरियाली तेजी से सिमट रही है और उनकी जगह कंक्रीट के जंगल पनप रहे हैं। इसकी वजह से भी कई समस्याएं पैदा हो रही हैं। दुनिया के शहरों में हरे भरे क्षेत्रों की हिस्सेदारी 1990 में औसतन 19.5 फीसदी थी जो 2020 तक घटकर सिर्फ 13.9 फीसदी रह गई है। अनुमान के मुताबिक 2040 तक शहरों में रह रहे 200 करोड़ से ज्यादा लोगों को तापमान में कम से कम 0.5 डिग्री सेल्सियस की अतिरिक्त वृद्धि का सामना करना पड़ेगा। यह चेतावनी संयुक्त राष्ट्र संगठन यूएन-हैबिटेट ने अपनी नई रिपोर्ट में दी है। वर्ल्ड सिटीज रिपोर्ट 2024 वर्ल्ड अर्बन फोरम के दौरान जारी की गई है।