बटेंगे तो कटेंगे के नारे से योगी आदित्यनाथ का हुआ उदय


संपादक नागेश्वर चौधरी
लखनऊ। सीएम योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक स्टारडम अब पैन-इंडिया स्तर पर बढ़ता जा रहा है। साउथ ब्लॉक की ओर उनकी राह साफ नजर आ रही है। योगी बाबा के उभरते कद का पहला बड़ा प्रतीक है उनका बुलडोजर,जो अब वर्ल्डवाइड ऑल-टाइम ब्लॉकबस्टर बन चुका है। भले ही सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर पर गाइडलाइंस जारी कर अपनी चौधराहट जताई हो,लेकिन बाबा स्पष्ट हैं कि कानून का राज ही उनकी पहली और एकमात्र प्राथमिकता है। बुलडोजर के बाद बाबा का नया नारा “बटेंगे तो कटेंगे” पूरे देश में गूंज चुका है। इस नारे की ताकत को प्रधानमंत्री ने भी समझा और इसे विस्तार देते हुए जोड़ा—“एक है तो सेफ है”। इसे योगी बाबा के नारे का रीमेक समझा जा सकता है।
इस नारे ने भाजपा के दो स्पष्ट चेहरे स्थापित कर दिए हैं। वर्तमान में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में नेतृत्व कर रहे हैं, लेकिन भविष्य योगी बाबा को पुकार रहा है। भले ही योगी बाबा की टीम अभी सामने न हो,लेकिन वे खुद को राष्ट्रीय स्तर पर प्रोजेक्ट करने में जुटे हैं। पीएम मोदी इस संकेत को भली-भांति समझते हैं और उनका समर्थन भी कर रहे हैं। एक देश,एक चुनाव की अवधारणा के तहत योगी आदित्यनाथ भविष्य में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। आरएसएस भी अब कोई ऐसी गलती नहीं करना चाहेगी, जो 2004 जैसी परिस्थिति पैदा करे। वर्तमान राजनीतिक माहौल में आक्रामक नेतृत्व ही भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। योगी बाबा इस फॉर्मूले में फिट बैठते हैं। महाराष्ट्र की राजनीति इसका उदाहरण है,जहाँ महाविकास अघाड़ी आरएसएस पर प्रतिबंध की मांग कर रही है। अगर उनकी सरकार बनी,तो वे अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए ऐसा कदम उठा सकते हैं। भाजपा के लिए अब स्पष्ट है कि उन्हें अपने आक्रामक जोन में ही खेलना होगा। योगी आदित्यनाथ और देवेंद्र फडणवीस जैसे नेता इस रणनीति को अपनाकर आगे बढ़ रहे हैं।
आखिरकार,भाजपा ने यह सीख लिया है कि विश्वासपात्रों पर अधिक भरोसा करने से नुकसान हो सकता है। पार्टी का ध्यान अब केवल उस नेतृत्व पर है,जो न सिर्फ आक्रामक हो बल्कि जमीनी स्तर पर जनाधार भी मजबूत करे। योगी बाबा का उदय और भाजपा की नई परिभाषा यहीं से शुरू होती है।