सेवा और जनजाति क्षेत्र की गोष्ठी केन्दूझर में हुई संपन्न


प्रांजल केसरी
उड़ीसा। सेवा क्षेत्र/जनजाति क्षेत्र की गोष्ठी केन्दूझर उडिसा में राघव कुमार विद्या भारती अवध गोरक्ष नेपाल सीमा सेवा शिक्षा संयोजक द्वारा प्रशिक्षण एवं प्रवास योजना पर की गई समीक्षा।
संस्कार केंद्र संचालक प्रशिक्षण वर्ष में एक बार (सघन प्रशिक्षण 5 से 7 दिवसीय)होना आवश्यक है। मासिक आवर्ती प्रशिक्षण माह में एक बार अवश्य होना चाहिए। भले ही वह चार या पांच घंटे का हो संस्कार केंद्र संभाल करने वाले कार्यकर्ताओं का भी 2 वर्ष में एक बार प्रशिक्षण आवश्यक रूप से होना चाहिए। संस्कार केंद्रों के पालक कार्यकर्ता हों तो उनका प्रशिक्षण भी वर्ष में दो-तीन बार अवश्य होना चाहिए। केंद्रों की स्थानीय प्रबंधन समिति का प्रबोधन भी वर्ष में दो बार अवश्य हों,प्रांत एवं क्षेत्र स्तर के कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण केंद्र की योजना से 5 वर्ष में एक बार होता है।

प्रवास योजना संस्कार केदो की सप्ताह में एक बार संभाल योजना आवश्यक होनी चाहिए जहां जिला स्तर के कार्यकर्ता है या विभाग स्तर के कार्यकर्ता है प्रवास इस प्रकार बनाएं की सप्ताह में प्रत्येक संस्कार केंद्र को कोई न कोई कार्यकरता संभाल के लिए मिले उसे संस्कार केदो की निरंतर रहेगी एवं प्रभावी एवं परिणामकारी संस्कार केंद्र बनाने में अत्यंत सहयोग मिलेगा। केंद्र संचालक कार्यकर्ताओं की संभाल के लिए भी प्रवास अवश्य करना। उत्सव जयंती एवं वार्षिक उत्सव जैसे कार्यक्रमों के निमित्त प्रवास समान्यत: होता ही है परंतु प्रवासी कार्यकर्ताओं को नियमित संस्कार केंद्र संभल की योजना अवश्य बनानी चाहिए। शताब्दी वर्ष में संस्कार केंद्र का लक्ष्य 1000 करना है। समाजिक समरसता,स्वभाषा,स्वदेशी,नागरिक कर्तव्य बोध
कुटुम्ब प्रबोधन:- संवेदनशील क्षेत्र एकल विद्यालय तथा संस्कार केंद्र का विस्तार:- सुपोषण युक्त भारत के लिए सभी प्रान्त में दस-दस स्थान चिन्हित करके कार्य प्रारम्भ करना है।