संस्कार केंद्र का एक दिवसीय आवर्ती वर्ग सोनौली में हुआ संपन्न


प्रांजल केसरी
सोनौली। आज दिनांक 5 दिसम्बर 2024 को सरस्वती संस्कार का आवर्ती वर्ग सोनौली महराजगंज में संपन्न हुआ। इस वर्ग में राघव कुमार कुमार,अवध गोरक्ष नेपाल सेवा शिक्षा संयोजक ने गीत,कहानी,योग,खेल आदि अभ्यास कराया।
सरस्वती संस्कार केन्द्र प्रबंध-व्यवस्था आवश्यकता स्वरूप,गठन तथा कार्य:-
आवश्यकता: किसी भी प्रभावी कार्य के पीछे उसमें लगी प्रबंध व्यवस्था एवं कार्य करने की प्रेरणा का तथा योगदान को महत्वपूर्ण माना गया है। ठीक प्रबंधन के अभाव में कार्य का अपेक्षित परिणाम प्राप्त करना असंभव होता है। हमारे सरस्वती संस्कार केन्द्र प्रभावी तथा परिणामकारी बनने चाहिए। परन्तु ध्यान रहे ये केन्द्र सेवा से सम्बंधित हैं। इन केन्द्र की प्रबंधन-आवश्यकता तो और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सेवा का सम्बन्ध मानवीय संवेदना से होता है। इसी संवेदना के कारण समाज का सामान्य सा व्यक्ति भी सर्वोच्च बन जाता है। प्रबंधन की इसी भूमिका को ध्यान में रखकर हमे अपने के सुसंचालन का दायित्व निर्वाह करना होगा।

हमारे सम्पूर्ण कार्य के प्रबन्धन- व्यवस्था का आधार स्नेह और आत्मीयता है। प्रबन्धन के अर्थ को यदि हम प्रशासन का स्वरूप देंगे तो शायद उचित नहीं होगा। क्योंकि स्वामी विवेकानंद ने कहा-आध्यात्मिक जगत में मानव सेवा एक सौभाग्य है न कि बाध्यता। हमें साक्षात ईश्वर की सेवा का अवसर प्राप्त हुआ है। सेवा को परोपकार कहकर छोटा नहीं किया जा सकता। एक उपासक केवल सेवा व श्रद्धा ही कर सकता है दया और मदद नहीं।
सरस्वती संस्कार केन्द्र की प्रबन्ध- व्यवस्था
प्रत्येक सरस्वती संस्कार केन्द्र’ ठीक तरह से संचालित हो इसके लिए विद्यालय-परिवार व सेवा बस्ती/ग्राम के लोगों का संरक्षक-मण्डल होगा। इसका गठन करते समय व्यक्ति की सेवा कार्य में रुचि,संगठन भाव,समय देने की तैयारी और सक्रिय रहने का स्वभाव का विशेष ध्यान रखना चाहिए। प्रबंधन के हर स्तर पर मातृशक्ति की सहभागिता रहे ऐसा प्रयास चाहिए।
विद्यालय सेवा प्रमुख आचार्य इसके संयोजक होगें। शेष बन्धु/भगिनी सदस्य होगें।

कार्यकाल: संचालन समिति का कार्यकाल 3 वर्ष का होगा।
– बैठक : मासिक बैठक का पूर्ण आग्रह रहेगा। हर स्थिति में दो मास में बैठक करना अनिवार्य है। बैठक की कार्यवाही पंजी में अंकित होगी। अगली बैठक में इसकी पूर्णता की समीक्षा व पुष्टि हो जानी चाहिए।
– कार्य :
01 केन्द्र के आचार्य के प्रति आत्मीय भाव,स्नेह व संरक्षक का भाव रखना ताकि वे मन से बस्ती के बच्चों में रम जाय व केन्द्र की कार्ययोजना को ठीक से व्यवहार में ला सकें।
02- ग्राम/बस्ती का वातावरण अपने केन्द्र के अनुकूल बनाये रखना।
03- केन्द्र संचालक/संचालिका की कठीनाई जानकर सहयोग करना।
04- आवश्यक सामाग्री व संसाधन समय से उपलब्ध हो जाय ऐसा प्रयास करना।
05- केन्द्र का शैक्षिक स्तर, इसकी नियमितता,बस्ती/ ग्राम के लोगों का केन्द्र से लगाव और भैया बहनों का संस्कार पक्ष ठीक रहे इसे सुनिश्चित करना।
06- केन्द्र के माध्यम से बस्ती/ग्राम में भारतीय संस्कृति का बढावा तथा देशभक्ति तथा बस्ती में परिवर्तन दिखाई दे।
07- सरस्वती संस्कार केन्द्र के माध्यम 15 दिन मे भजन महिला भजन मण्डली के द्वारा भजन कीर्तन तथा लक्ष्मी की आरती करना है।
08- केन्द्र के माध्यम से बस्ती/ ग्राम के प्रत्येक परिवार में तुलसी का पौधा तथा हर दरवाजे पर ऊं,स्वास्तिक,रंगोली बनाने के लिए आग्रह करना।
9- कुपोषण मुक्त भारत करने के लिए बस्ती का चयन करना है।
10- पंच परिवर्तन पर भी चर्चा किया गया। समाजिक समरसता,कुटुम्ब प्रबोधन,स्व बोध,स्वभाषा,स्वदेशी,सुसंस्कृति,नागरिक कतर्ब्य पर चर्चा किया। इस कार्यक्रम में जितेन्द्र तिवारी हनुमान मंदिर के पुजारी,सुरेश विश्वकर्मा प्रधानाचार्य सोनौली,धीरज मद्धेशिया तथा केन्द्र संचालिका पूरे समय उपस्थित रहे।