महाकुंभ का सात समंदर पार चढ़ा खुमार,संगम की धरा पर पहुंचे मलेशिया-मॉरिशस,सिंगापुर-अफ्रीका संग अरब के मेहमान
उप संपादक शत्रुघ्न प्रजापति
प्रयागराज। महाकुंभ सनातन धर्म के सबसे बड़े और सबसे पवित्र धार्मिक आयोजनों में से एक है। महाकुंभ न केवल भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का उत्सव है, बल्कि ये दुनिया में सनातन धर्म की महत्ता को बताता है।महाकुंभ देश ही नहीं सात समंदर पार विदेशियों की आंखों को भी चकाचौंध कर रहा है। बुधवार रात 10 देशों के 21 मेहमान महाकुंभ देखने के लिए गंगा की धरा पर पहुंचे। एयरपोर्ट से इन मेहमानों को अरैल टेंट सिटी लाया गया। मां गंगा कल कल करती बहती धारा को देखकर विदेशी मेहमान अभिभूत हो गए। थोड़ी देर बाद ये सभी अखाड़ा मार्ग पहुंचे। अखाड़ों में संतों के रहन-सहन को देखकर विदेशी मेहमानों ने कहा कि अद्भुत है,महाकुम्भ,अद्भुत है भारत की संस्कृति।
इन मेहमानों के प्रयागराज एयरपोर्ट पहुंचने पर पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। सभी को फूलों की माला पहनाई गई और माथे पर चंदन लगाया गया। एयरपोर्ट से सभी को टेंट सिटी अरैल लाया गया। यहां की व्यस्थाओं से सभी बहुत खुश दिखे। अस्थायी कॉलोनी एकदम पक्के मकान जैसी देखकर उन्हें आश्चर्य हुआ। कुछ देर यहां विश्राम करने के बाद सभी को अखाड़ों के शिविर में लाया गया।
फिजी से सुजिना शानिया सिंह,साहिल प्रसाद और अश्वनी वशिष्ठ देव अखाड़े के संतों से मिले और नागा साधुओं की छोटी-छोटी कुटिया को देखा। फिनलैंड से शाइमा मोहम्मद अजीज,गुयाना से दिनेश परसौद,नॉरमन गोबिन और लीसा नैरीन,मलेशिया से विकनेश्वरन वीरासुंदर,मॉरिशस से योश सिंह सेंबर,हौसना नीतिश्नि बिहारी,शैनी रामसामी,सर्ज दामेन,सिंगापुर से अवि दीक्षित,दक्षिण अफ्रीका से वेलेसिया बियांका नायडू,तारेश हरिप्रसाद,सीमा रामप्रताप,श्रीलंका से चमारा प्रसन्ना,त्रिनिदाद एंड टोबैगो से कृष्णंदेय रामप्रसाद,सुवीर उमेश रामसूक,रिया रामबैली,संयुक्त अरब अमीरात से सैली एलाजब भी आई हैं।
रविंद्र कुमार,नितिन गौतम विदेश मंत्रालय