अकेलापन और एकांत में अंतर

एकांत में खुशी से रहते हैं पर अकेलापन मजबूरी है। अकेलापन और एकांत के सही अर्थ को समझना मानवीय भावनाओं को समझने के लिए अति आवश्यक है।
व्यक्ति परिवार के लोगों के होते हुए या भीड़ में होते हुए भी जब उससे कोई बातचीत करने वाला नहीं होता,वह कमरे में अकेले पड़ा रहता है,तब वह अपने आप को अकेला महसूस करता है और इसे ही अकेलापन कहते हैं। जबकि कोई व्यक्ति जानबूझकर सांसारिक या पारिवारिक परेशानियों से दूर कहीं एकांत में चिंतन या मनन के लिए समय व्यतीत करता है,उसे एकांत कहते हैं।
अकेलापन को एक दुखद स्थिति मानी जाती है जबकि एकांत को एक स्वस्थ व्यक्तिगत अनुशासन के रूप में माना जाता है। एकांत में विचार सकारात्मक उत्पन्न होते हैं जबकि अकेलापन में विचार नकारात्मक हो जाते हैं जिसके कारण मनुष्य के जीवन में निराशा छाने लगती है। अकेलापन के कारण मनुष्य को अपने जीवन से मोह माया खत्म सा होने लगता है। जब कोई व्यक्ति कोई गंभीर समस्या से गुजर रहा होता है और उसका साथ देने वाला कोई नहीं होता तब वह अवसाद की स्थिति में अपने आपको अकेला महसूस करने लगता है और यह दुखद और भयावह स्थिति होती है–
कभी-कभी तनाव में आत्महत्या करने तक के भी विचार आ जाते हैं।
अकेलापन गंभीर स्वास्थ्य चिंता का विषय हो सकता है।अपनों के रहते अकेलापन महसूस होना बहुत कष्टदायक होता है मानसिक रूप से आहत कर देता है इंसान को।
हां यह कड़वी सच्चाई है एकांत में खुशी से रहते हैं पर अकेलापन मजबूरी है।
स्वरचित मौलिक रचना
सुनिल कुमार “शिक्षक”
महराजगंज