संपादकीय

जैसा करनी वैसी भरनी- राघव कुमार

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एक राजा के पास सब कुछ था। राजा बड़ा धर्मात्मा था। लेकिन राजा का कोई सन्तान नहीं था। राजा इस बात को लेकर बहुत दुखी था। एक सन्यासी के पास जाकर कहा कि महात्मन मुझे कोई सन्तान नहीं है। सन्यासी ने कहा कि राजन संतान सुख नहीं है। राजा रानी ने जिद किया कि मुझे एक दिन के लिए संतान सुख चहिये। आप की बड़ी कृपा होगी। राजा रानी के आग्रह पर सन्यासी ने आशीर्वाद दिया। 9 माह बाद पुत्र पैदा हुआ।राजा रानी की खुशी का कल्पना नहीं कर सकते थे। लेकिन रात में बालक को पेट दर्द के कारण मृत्यु हो गयी। राजा रानी विलाप करने लगे। राज्य के लोगों ने कहा कि सन्यासी के पास चलना चाहिए। राजा रानी सन्यासी के पास जाकर रोने लगे और कहने लगे कि एकबार हमारा बेटा मुझे माँ कह दे। यही आप से प्रार्थना है। सन्यासी ने मृत्यु बालक पास जाकर कहते हैं देखो तुम्हारे माता पिता मिलने आया है। एकबार माँ कह दो तुम्हारी माँ की इच्छा है। बालक ने कहा की कैसी माँ हम किसी माँ को नहीं जानते हैं। जैसे मैने पूर्वजन्म में पत्नी थी। मेरे पति से इसने फसाकर शादी कर लिया था। मैने कहा कि मेरे पति को वापस कर दो लेकिन इसने एकबार भी दया नहीं किया। मैने बदला लेने के लिए भगवान से प्रार्थना किया कि एकदिन के लिए संतान बना दो। ताकि रानी से बदला ले सकें। रानी को जीवन भर संतान के लिए तडपते मरना होगा। जैसे मैने पति के वियोग मे मर गयी वैसे इस रानी को मरना होगा। सब अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है। जो जितना कर्ज लिए रहता है नहीं दे पाता है। उसके पुत्र-पुत्री,पति आदि के रूप में जन्म लेकर भरपाई के बाद संसार छोड़कर चला जाता है। इसलिए किसी कर्ज या सम्पत्ति,मंदिर या भाई की साथ बेईमानी करने के बाद इस जन्म में तो कष्ट भोगता ही है। अगले जन्म में भरपाई करना पडेगा। इसलिए किसी के साथ धोखाधड़ी,बेईमानी नहीं करना चाहिए।

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