
मुन्ना अंसारी राज्य ब्यूरो
महराजगंज। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के निर्माण का नेतृत्व करने वाले प्रसिद्ध वैज्ञानिक डा० कृष्णा स्वामी कस्तूरीरंगन का आकस्मिक निधन 25 अप्रैल 2025 को हुआ। भारत सरकार द्वारा अपेक्षा की गई है कि उनके योगदान और राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका और जीवन परिचय से समस्त शिक्षकों,बच्चों व सर्व सम्बन्धित को अवगत कराया जाय। उक्त के आलोक में आज उच्च प्राथमिक विद्यालय रतनपुरवा कम्पोजिट, पनियरा,महराजगंज पर नवाचारी शिक्षक वरेश कुमार के समन्वय में डा० के० कस्तूरीरंगन के कार्यों व राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को शिक्षकों व बच्चों के बीच साझा किया गया। सर्वप्रथम विद्यालय के प्रधानाध्यापक त्रिलोकीनाथ प्रजापति ने उनके चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की। शिक्षक वरेश कुमार ने उपस्थित शिक्षकों, विद्यालय के वर्तमान व पूर्व छात्रों को सम्बोधित करते हुए बताया कि आपका जन्म केरल राज्य के एर्नाकुलम में 24 अक्टूबर 1940 में हुआ था। उन्हें उनके कार्यो के लिए पद्मश्री,पद्म भूषण,पद्म विभूषण,ब्राॅक मेडल,एलन डी एमिल मेमोरियल अवार्डथियोडोर वान कर्मन अवार्ड से सम्मानित किया गया। वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति,कर्नाटक कालेज कमीशन के नेतृत्वकर्ता,एनआईआईटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति,नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज बेंगलुरु के निदेशक,इसरो के अध्यक्ष पद को सुशोभित कर चुके थे। पोलर सैटेलाइट लांच व्हीकल (PSLV) का संचालन और भारत के पहले चंद्र मिशन की संकल्पना उन्ही की दूरदृष्टि का परिणाम है। वरेश कुमार ने बताया कि केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने उन्हें ‘बौद्धिक महापुरुष’ और मार्गदर्शक करार दिया। वर्तमान एन०ई०पी० 2020 उनकी दूरदर्शिता को जीवित स्मारक के रूप में स्थापित करती है। विज्ञान प्रगति और शैक्षिक समानता के सेतु के रूप में उन्होंने एक ज्ञान आधारित भारत की नींव रखी। कार्यक्रम में शिक्षक अशोक चौरसिया, रामेश्वर,हरेंद्र सिंह,सुनीता कुमारी,गणेश यादव,मधुलिका,राधिका आदि उपस्थित रहे।