अंधकार को हम क्यों धिक्कारें,अच्छा है एक दीप जलाएं- डॉ राम मनोहर

प्रांजल केसरी न्यूज एजेंसी
अमेठी: नव चयनित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग के दूसरे दिन आज वंदना सत्र में विद्या भारती काशी प्रदेश के सह संगठन मंत्री डॉ राम मनोहर का मार्गदर्शन नवचयनित 57 वन्धु/भगनी को प्राप्त हुआ। मां सरस्वती के पूजन पुष्पार्चन के बाद आपने अर्ली केयर चाइल्ड एजुकेशन पर अपना बौद्धिक प्रस्तुत किया। परिचय प्रदेश में निरीक्षक राज बहादुर दीक्षित ने कराया। सह संगठन मंत्री ने बताया कि भव की स्वीकृति ही भाव है,स्वीकृति ही सुख है,अस्वीकृति दु:ख है। अपने भावनाओं पर हम ध्यान दें क्योंकि यही विचार बन जाता है,विचार शब्द बन जाते हैं,शब्द आदत बन जाती है,आदत चरित्र बन जाता है और चरित्र नियति बन जाती है।

हमारे आचार्य को प्रतिदिन पढ़ना और पढ़ाना चाहिए। सोते जागते प्रतिदिन 88000 बार कोई बात मस्तिष्क में आती है और जाती है। किसी प्रकार की विकृति मन में आने के बाद हम उसका प्रतिकार कर दें तो उसी को “सा विद्या या विमुक्तये कहते हैं। आज भौतिक संसार में हर व्यक्ति के पास साधन में वृद्धि हुई है,एक तरफ जहां साधन बढ़ रहे हैं दूसरी तरफ हमारे संबंध में कमी आ रही है। पवित्र विचार ही हमारा मनोबल है दूसरे की अयोग्यता से प्रभावित हो जाना ही मेरी अयोग्यता है,ठीक ही कहा गया है-अंधकार को हम क्यों धिक्कारें,अच्छा है एक दीप जलाएं।हमारी समझदारी जैसी होगी,उसी प्रकार ईमानदारी होगी और जिस प्रकार ईमानदारी होगी वैसे ही हमारी जिम्मेदारी होगी और जिम्मेदारी के माध्यम से हमारी भागीदारी होती है।

आपने बताया कि घर में एक नए मेहमान के आगमन के अवसर पर मां की विचारधाराए धार्मिक होनी चाहिए,अच्छी पुस्तकों का स्वाध्याय करना,घर में अच्छी बातें करना। शिशु गर्भ से ही सीखता है जिस प्रकार अभिमन्यु अपनी मां के गर्भ में रहकर बहुत कुछ सीखे थे,कार्यक्रम में अनेक वन्धु/भगिनी उपस्थित रहे।